1. इस चुनाव में झुंझुनूं विधानसभा सीट पर गहलोत कैबिनेट के परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं। इस बार ओला का मुकबाला भाजपा के बबलू चौधरी से है। वहीं भाजपा से बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरे राजेन्द्र भामूं मुकाबले ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। वे गोसेवा के चलते क्षेत्र में सक्रिय रहे।
2. वरिष्ठ मंत्री डा. बीडी कल्ला बीकानेर पश्चिम से भाजपा प्रत्याशी से कांटे का मुकाबला है। भाजपा ने यहां से नए चेहरे के रूप में जेठानंद व्यास को उतारा है। वे धर्म यात्रा निकालने की वजह से चर्चा में रहे हैं। हिन्दूवादी चेहरे के रूप में उनकी पहचान है। विहिप और संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। एक माह पहले ही भाजपा में आए हैं।
3. लालसोट से स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा की हालत पतली है। प्रचार के शुरुआती दौर में उन्हें एक गांव में लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। मंत्री परसादीलाल मीणा की भाजपा के रामविलास मीणा से सीधी टक्कर है। भाजपा के रामविलास दूसरी बार मैदान में हैं। पिछला चुनाव मामूली अंतर से हार गए थे।
4. उम्मीदवार मंत्री प्रमोद जैन भाया अंता विधानसभा सीट पर कड़े मुकाबले में फंसे हैं। भाजपा ने यहां से कंवरलाल मीणा को उतारा है, वे पहले मनोहरथाना से विधायक रहे हैं।
5. सपोटरा विधानसभा सीट से मंत्री रमेश मीणा भाजपा के हंसराज से कड़े मुकाबले में फंसे हैं। रमेश मीणा तीन बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। क्षेत्र में पकड़ है, लेकिन बोलचाल का तरीका सख्त होने से लोगों में कुछ नाराजगी है। वहीं भाजपा ने हंसराज को पहली बार मैदान में उतारा है। पहले वे बसपा से चुनाव लड़ चुके हैं। मतदताओं पर भी पकड़ है।
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इन पांच के अलावा इस चुनाव में ममता भूपेश, शांति धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास, अशोक चांदना, टीकाराम जूली और मुरारीलाल मीणा जैसे कई कद्दावर मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। 2013 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में गहलोत सरकार के 15 से अधिक मंत्री चुनाव हार गए थे। राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीट हैं, जिनमें से 199 सीटों पर चुनाव हुआ है।