चौधरी ने आरोप लगाया कि वह रातभर से धरने पर है। ऐसे में यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की ओर से धरने से उठाने के प्रयास किए जा रहे है। उन्हें जबरन धमकी देकर उठाने के लिए दबाव बनाया गया है। लेकिन वह अपनी मांगों पर अडिग है। और तब तक नहीं उठेंगे, जब तक जिम्मेदार माफी नहीं मांग लेते है। यूनिवसिर्टी में इस मामले में रातभर बवाल चला। जिसके चलते मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया है। एनएसयूआई का कहना है कि यह गलती कैसे हुई, इसके बारे में अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना होगा। वही राज्यपाल से उद्घाटन कराने की इतनी जल्दबाजी क्यों की, पहले गलती पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया।
इस तरह हुई है गड़बड़ी.. संविधान स्तंभ पर संविधान के भाग 17 में (343-351) ऑफिशियल लैंग्वेज ऑफ यूनियन ऑफ स्टेट है, जबकि संविधान के भाग 18 में (352-360) में आपातकालीन उपबंध का उल्लेख किया गया है। लेकिन यूनिवर्सिटी के संविधान पार्क में भाग 17 में ही आपातकालीन उपबंध लिख दिया गया है। इसको लेकर राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया है।
छात्र नेता शुभम रेवाड़ ने बताया- संविधान को गलत लिखकर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने संविधान का अपमान किया है। देश के करोड़ों नागरिकों की भावना के साथ भी खिलवाड़ किया है। ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। रेवाड़ ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने राज्यपाल से गलती वाले संविधान पार्क का उद्घाटन करा दिया, जबकि उद्घाटन से पहले संविधान पार्क को अच्छे से देखना चाहिए था। न जाने किस आपाधापी में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने राज्यपाल से भी इतनी बड़ी भूल करा दी। इसे जल्द से जल्द ठीक किया जाना चाहिए।
19 जून को हुआ था उद्घाटन, चार दिन बाद सामने आई गड़बड़ी.. बता दें कि 19 जून के दिन राजस्थान यूनिवर्सिटी में राज्यपाल कलराज मिश्र ने 3 करोड़ रुपए की लागत से बने संविधान पार्क का उद्घाटन किया था। इस दौरान राज्यपाल के साथ डिप्टी सीएम उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा, राजस्थान यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर अल्पना कटेजा भी मौजूद थीं। उस समय किसी भी जनप्रतिनिधि और छात्र की इस पर नजर नहीं गई। अब चार दिन बाद संविधान पार्क की बनावट में हुई गड़बड़ी को लेकर विवाद शुरू हो गया है।