मरीजों ने कहा कि निजी अस्पतालों में योजनाओं के बावजूद इलाज नहीं किया जा रहा। सरकारी अस्पतालों की हालत खराब है। लोगों ने यह भी कहा कि सरकार को समय-समय पर सभी अस्पतालों में चिकित्सकों के व्यवहार और इलाज के समय को लेकर जनता से फीडबैक लेना चाहिए। इससे सच्चाई सामने आएगी और व्यवस्था सुधरेगी।
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योजना बंद नहीं… खामियां दूर करें
मैं 70 वर्ष का हूं। मैंने मेरी और पत्नी की मेडिक्लेम पॉलिसी कई वर्ष से करवा रखी थी। शुरुआत में सालाना प्रीमियम 15-16 हजार रुपए था। साल दर साल प्रीमियम राशि बढ़कर 65 हजार रुपए हो गई। जो कि एक बड़ा बोझ लग रहा था। राजस्थान सरकार ने 800 रुपए प्रीमियम लेकर चिरंजीवी योजना शुरू की तो इस योजना से जुड़ गया और निजी कंपनी की मेडिक्लेम पॉलिसी बंद कर दी। अब मुझे अपनी पत्नी का इलाज कराना है। ऑपरेशन होगा। इस समय निजी अस्पताल चिरंजीवी में इलाज से मना कर रहे हैं। मैं अब ठगा सा महसूस कर रहा हूं… डेढ़-दो लाख रुपए स्वयं को खर्च करने होंगे। राजस्थान सरकार को योजना का लाभ लोगों को देना चाहिए। इसमें कोई खामी है तो उसे दूर करें और गलत करने वाले अस्पतालाें पर कार्रवाई करें।’
– सुभाष चंद्र पारीक, ढेहर का बालाजी, सीकर रोड, जयपुर
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