ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि पिशाचमोचन श्राद्ध का दिन किन्हीं कारणों से पिशाच यानि प्रेत योनि में चले गए पूर्वजों के निमित्त तर्पण करने का है। इस तिथि पर खासतौर पर अकाल मृत्यु को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। जिन्हें भूत-प्रेत आदि से डर लगता हो उन्हें पितरों को तर्पण जरूर करना चाहिए।
शास्त्रों में पितृ दोष की शांति के लिए भी मार्गशीर्ष माह में आनेवाले पिशाचमोचन श्राद्ध को महत्वपूर्ण बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितरों की मुक्ति एवं शांति के लिए श्राद्ध कर्म या तर्पण नहीं करने पर पितृदोष भुगतना पड़ता है. जिनकी कुंडली में यह दोष होतो है उन्हें जीवन में अनेक कष्ट भोगने पड़ते हैं। पिशाचमोचन श्राद्ध के दिन श्राद्धादि कर्म करने, दान देने से यह दोष खत्म हो जाता है।
इस दिन किया गया श्राद्ध अक्षय होता है और इससे पितरों को शांति व मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस प्रकार यह समय पितरों के आशीर्वाद से अभीष्ट सिद्धि देने वाला होता है। उनकी प्रसन्नता से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं। पिशाचमोचन श्राद्ध के दिन भगवान विष्णु व शिवजी की आराधना की जाती है। साधना और तप के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ माना जाता है।