scriptपत्रिका रक्षा कवच : राजस्थान में पुलिस से बचने के लिए ठगों का अनोखा तरीका, 5 से 8 लाख में खरीद रहे बैंक खाते | Patrika Raksha Kavach Abhiyan: Cyberthugs New And Unique Way Of Fraud To Escape From Police | Patrika News
जयपुर

पत्रिका रक्षा कवच : राजस्थान में पुलिस से बचने के लिए ठगों का अनोखा तरीका, 5 से 8 लाख में खरीद रहे बैंक खाते

Patrika Raksha Kavach Abhiyan: साइबर ठगी के लिए किराए पर बैंक खाते। सुनने में अजीब जरूर लगे, लेकिन साइबर ठग मोबाइल सिम ही नहीं, पुलिस से बचने के लिए ठगी की रकम जमा करवाने व निकालने के लिए किराए के बैंक खाते भी काम में ले रहे हैं।

जयपुरNov 29, 2024 / 01:57 pm

Anil Prajapat

rajasthan crime
जयपुर। साइबर ठगी के लिए किराए पर बैंक खाते। सुनने में अजीब जरूर लगे, लेकिन साइबर ठग मोबाइल सिम ही नहीं, पुलिस से बचने के लिए ठगी की रकम जमा करवाने व निकालने के लिए किराए के बैंक खाते भी काम में ले रहे हैं। देशभर में ठगों को बैंक खाते उपलब्ध करवाने के लिए कई गैंग सक्रिय है। किसी को नौकरी पर रखकर तो किसी को मोटी रकम देकर किराए के बैंक खाते लिए जा रहे है। साइबर ठग एक खाते के लिए 5 से 8 लाख रुपए तक आसानी से दे देते हैं और इन खातों में करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन करते हैं।
प्रति खाते में जमा होने वाली साइबर ठगी की रकम में से 3 से 5 प्रतिशत राशि भी खाता उपलब्ध करवाने वाले को देते हैं। देशभर में साइबर ठगों को खाता उपलब्ध करवाने वाली कई गैंग पकड़ी गई। कई ऐसी गैंग सक्रिय है, जिनमें कई पकड़ी गई तो कई वांटेड है।

कई बैंक कर्मचारियों को करते शामिल

साइबर ठगों से मिलीभगत के बाद कई जालसाज गरीब लोगों को तलाशते हैं और उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए उन्हें 5 से 20 हजार रुपए तक देने का लालच देते हैं। बदले में उनके नाम से बैंक खाता खुलवाकर खुद के उपयोग में लेने का झांसा देते। चंगुल में फंसने वाला व्यक्ति अपने दस्तावेज देकर बैंक खाता खुलवा लेता। कई मामलों में कई बैंक कर्मचारियों को इसके लिए गैंग में शामिल किया जाता है। ताकि खाता आसानी से एक्टिवेट हो सके। फिर साइबर ठगों को उक्त खाते ठगी की रकम जमा करवाने के लिए दिए जाते हैं।
कई गैंग बैंकों में सिविल खराब होने वाले डिफॉल्टर लोगों को चिह्नित कर लोन दिलाने के बहाने उनके बैंक खाते खुलवाती है। बाद में किसी को बिना बताए ठगी की रकम बैंक खाते में जमा करवाकर निकाल लेती है तो किसी को प्रति ट्रांजेक्शन पर मोटी रकम देने का लालच देकर बैंक खाते उपयोग में लेती।
DG Hemant Priyadarshi

पुलिस अब पत्रिका के साथ करेगी लोगों को जागरूक

साइबर अपराध पर शिकंजा कसने के लिए लेकर राजस्थान पत्रिका के अभियान के साथ राजस्थान पुलिस संयुक्त रूप से जुड़कर प्रदेश के हर जिले में लोगों को आगरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाएगी। राजस्थान के साइबर डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि पत्रिका की पहल सराहनीय है। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में पत्रिका टीम के साथ पुलिस साइबर एक्सपर्ट स्कूल, कॉलेज व कोचिंग संस्थानों में जाएंगे और विद्यार्थियों को साइबर अपराध के प्रति जागरूक करेंगे। विद्यार्थिओं को बताया जाएगा कि साइबर अपराधी किस-किस तरह से लोगों को ठगी का शिकार बना सकते हैं। साइबर अपराध से कैसे बचा जा सकता है।
हेमंत प्रियदर्शी, डीजी, साइबर राजस्थान

कई मामले… 2-2 हजार रुपए प्रति माह के किराए पर खाते

ग्वालियर पुलिस ने करीब चार माह पहले एक महिला को पकड़ा। वह गरीब लोगों के दस्तावेज से सिम जारी करवाकर उनके नाम से बैंक खाते खुलवा देती। बदले में कुछ रकम भी देती। फिर इन खातों को ठगों को 2-2 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से किराए पर देती। पुलिस ने उसके घर से 16 बैंक पासबुक भी बरामद की और कई खाते फ्रीज कराए।
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कुछ बानगी… करंट अकाउंट इंस्टाग्राम ग्रुप पर खरीदने का टास्क

राजस्थान एसओजी ने गत वर्ष एक करोड़ रुपए की साइबर ठगी की पड़ताल करते हुए गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया। तब सुनने में आया कि गिरोह ठगी की रकम जमा करवाने व निकालने के लिए करंट अकाउंट किराए पर खरीदता था और प्रति अकाउंट के 5 से 8 लाख रुपए देता था। ठगी की रकम में से कुछ लाख रुपए सीकर निवासी आनंद के अकाउंट में जमा हुए थे। आनंद ने किराए पर देने के लिए साथी अभिषेक के जरिए खाता खुलवाया था। फिर अजमेर निवासी रवि को खाता सुपुर्द किया और रवि ने राजसमंद निवासी देवीलाल को खाता सौंप दिया। देवीलाल ने 3.50 लाख रुपए लेकर खाते को गैंग के हवाले कर दिया और मिलने वाली रकम में से एक लाख रवि को व एक लाख अभिषेक को दिए। आनंद से बैंक खाते में प्रति एक करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन होने पर एक लाख रुपए देने का सौदा तय किया था।

सैलेरी देने के नाम पर खुलवाते बैंक खाते

जयपुर में मानसरोवर थाना पुलिस ने साइबर ठगों को किराए पर बैंक खाते उपलब्ध करवाने वाली गैंग के चार सदस्यों को पकड़ा। आरोपियों से 65 एटीएम कार्ड, 36 चेक बुक सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए। गैंग बेरोजगार लोगों को नौकरी पर रखने के नाम पर सैलेरी देने का झांसा देकर उनके बैंक खाते खुलवा देती और उक्त बैंक खातों को साइबर ठगों की किराए पर उपलब्ध करवा देती। वहीं जयपुर की रामनगरिया थाना पुलिस ने जनवरी में गरीबों को 2- 2 हजार रुपए देकर साइबर ठगी के लिए बैंक खाते खुलवाने वाली गैंग के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया।

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ऑपरेशन एंटी वायरस शुरू कर ठगों के ठिकाने नष्ट किए

चार्ज संभाला तब पता चला कि यहां का मेवात क्षेत्र जामताड़ा को भी पछाड़ते हुए साइबर ठगी करने में अव्वल है। यहां से राजस्थान सहित दूसरे राज्यों के लोगों से ठगी की जा रही थी। ठग सेक्सटॉर्शन सहित अलग-अलग तरीकों से लोगों की रकम हड़प रहे थे। इस पैसे से उन्होंने आलीशान बंगले बनाए और लग्जरी गाड़ियां ले आए। गांव के गांव ठगी करने में जुटे थे। तब पुलिस ने इसे रोकने के लिए ऑपरेशन एंटी वायरस शुरू किया। साइबर ठगों के ठिकानों को ध्वस्त किया। फरवरी 2024 में डीग का मेवात क्षेत्र ठगी करने में पहले नंबर पर था, जो सितंबर में तीसरे नंबर पर आ गया। यह काम इतना आसान था नहीं। लेकिन हमारी टीम ने इसे किया। टीम लगातार तकनीकी टीमों की मदद से क्षेत्र में ठगों के ठिकानों का पता करके स्थानीय पुलिस की मदद से कार्रवाई कर रही है। ठग घरों से निकलकर, खेत व जंगल और अब हालात यह है कि दूसरे राज्यों में भी पहुंच गए। सभी राज्यों की पुलिस को इन पर कार्रवाई करने के लिए एकजुट होना पड़ेगा। केन्द्र सरकार की पहल पर अब सभी राज्यों की पुलिस साइबर ठगों की जानकारी एक दूसरे राज्य की पुलिस से साझा भी करने लगी है। इसके अलावा पुलिस गांवों में गणमान्य लोगों की मदद से साइबर ठगी को छोड़कर समाज की मुख्य धारा जुड़ने और पढ़ लिखकर नौकरी करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। इसका नतीजा है कि देश में अन्य राज्यों में साइबर ठगी बढ़ी है, लेकिन राजस्थान में डीग क्षेत्र में प्रभावी कार्रवाई होने से 35 प्रतिशत की कमी हुई है।
-राहुल प्रकाश, रेंज आइजी भरतपुर
IPS Rajesh Kumar Meena

साइबर अपराधियों के साथ प्रो एक्टिव तरीके से कार्रवाई

पीड़ित अन्य राज्य या जिले के होते हैं, चूंकि साइबर ठग यहां निवास करते हैं तो जिला पुलिस को जिले के संलिप्त साइबर अपराधियों के खिलाफ प्रो एक्टिव तरीके से कार्रवाई करनी होती है। इसमे विभिन्न टीमें दिन रात मेहनत करके सूचना एवं तकनीक का प्रयोग करके दबिश देकर साइबर अपराधियों को पकड़ती है। साइबर अपराधी संगठित रूप से ठगी के माध्यम में फर्जी पहचान पत्र का उपयोग करते हैं। सिम मोबाइल, बैंक अकाउंट, सोशल मीडिया अकाउंट, एटीएम कार्ड और चेक आदि सभी अन्य राज्यों के सम्बंधित गिरोह से संपर्क करके लाते हैं। ठग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से आसानी से अपना जाल फैला रहे है। कई ठग उच्च रिटर्न का वादा करके लोगों को निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ऐसी योजनाएं आमतौर पर फर्जी होती हैं और लोगों को पैसे गंवाने पर मजबूर कर देती है। जागरूकता के अभाव में लोग ठगी का शिकार बन जाते हैं। जिले में साइबर ठगों पर कार्रवाई करने के लिए विशेष यूनिट बनाई गई है। ताकि गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में सजा दिलाने में सभी दस्तावेजों की पूर्ति की जा सके।
-राजेश मीना, पुलिस अधीक्षक, डीग

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