बीते दिनों मानसरोवर के कुछ पार्षदों और विकास समितियों के पदाधिकारियों ने न्यू सांगानेर रोड होते हुए सांगानेर तक मेट्रो चलाने की बात मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा तक पहुंचाई है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने इस रूट में रुचि दिखाई है। क्योंकि इस रूट के दोनों ओर घनी आबादी है और पूरा रूट भी एलिवेटेड होने की वजह से खर्चा भी कम होगा।
धीरे-धीरे बढ़ रहा ट्रैफिक –फेज-1ए: मेट्रो मानसरोवर से चांदपोल तक चली। 9.1 किमी में चलने वाली मेट्रो में 18 हजार यात्री प्रतिदिन सफर करते थे। –फेज-1बी: चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक संचालन हुआ। इससे यात्री भार बढ़ा। अब प्रतिदिन का यात्री भार बढ़कर 50 हजार के पार हो चुका है।
इसका चल रहा काम फेज-1सीः (बड़ी चौपड़ से ट्रांसपोर्ट नगर तक) इस रूट पर काम चल रहा है। 2.85 किलोमीटर का रूट निर्धारित है। फेज-1डीः (मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से 200 फीट बाइपास तक) का भी काम शुरू हो गया है। 1.35 किमी का यह रूट पूरा एलिवेटेड होगा।
करीब 30 किमी का होगा फेज-2 फेज-2 (अम्बाबाड़ी से सीकर रोड तक) करीब 30 किलोमीटर का रूट होने का अनुमान है। इसके निर्माण में 5860 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पहले यह रूट अम्बाबाड़ी तक था, लेकिन अब इसको बीआरटीएस कॉरिडोर होते हुए सीकर रोड तक ले जाने की योजना है। इससे सीकर रोड के दोनों ओर रहने वाले लोगों की आवाजाही सुगम होगी। पहले इस रूट की लम्बाई (सीतापुरा से अम्बाबाड़ी तक) 23 किलोमीटर थी और लागत 4600 करोड़ रुपए थी।
लोगों को नहीं मिल रहा फायदा भले ही मेट्रो स्टेशन का नाम मानसरोवर है, लेकिन मानसरोवर में रहने वाले लोगों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि राज्य में सरकार बदलने के बाद न्यू सांगानेर रोड पर भी मेट्रो के लिए प्रयास शुरू हो गए। इस रूट पर मेट्रो के आने से मानसरोवर का बड़ा हिस्सा जुड़ जाएगा। वहीं, पृथ्वीराज नगर-दक्षिण में भी तेजी से आबादी बढ़ रही है। भविष्य में वहां के लोगों को मेट्रो ट्रेन के आने से राहत मिलेगी।