Maha Shivratri 2024 : जयपुर शहर से कुछ दूर स्थित वैशाली नगर के गांव प्रेमपुरा में झारखंड महादेव मंदिर स्थित है। इस मंदिर के नाम से आपको भी आश्चर्य हो रहा होगा कि राजस्थान में स्थित होने के बावजूद इसका नाम झारखंड महादेव मंदिर आखिर क्यों रखा गया है। दरअसल इसे समझने के लिए आपको इसके इतिहास की कुछ बातें जाननी पड़ेंगी।
जयपुर•Mar 05, 2024 / 05:04 pm•
Supriya Rani
Maha Shivratri 2024 : जयपुर शहर से कुछ दूर स्थित वैशाली नगर के गांव प्रेमपुरा में झारखंड महादेव मंदिर स्थित है। इस मंदिर के नाम से आपको भी आश्चर्य हो रहा होगा कि राजस्थान में स्थित होने के बावजूद इसका नाम झारखंड महादेव मंदिर आखिर क्यों रखा गया है। दरअसल इसे समझने के लिए आपको इसके इतिहास की कुछ बातें जाननी पड़ेंगी।
सावन और महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर बड़ी संख्या में भगवान शिव के भक्त झाड़खंड महादेव मंदिर पहुंचते हैं।
Famous Shiv Temple in Rajasthan : इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है। हालांकि मंदिर का केवल मुख्य द्वार ही दक्षिण भारतीय मंदिरों जैसा है। अंदर गर्भगृह उत्तर भारतीय मंदिरों से ही प्रेरित है।
दरअसल साल 2000 में जब इस मंदिर का पुन:निर्माण हो रहा था तो इसकी जिम्मदारी ट्रस्ट के चेयरमैन जय प्रकाश सोमानी को दी गई थी। सोमानी अक्सर दक्षिण भारत के टूर पर जाया करते थे। उन्हें वहां के मंदिर काफी पसंद आए फिर इस मंदिर का निर्माण भी दक्षिण भारतीय शैली में करवाया गया।
Jharkhand Mahadev Mandir : एक समय में यहां बड़ी संख्या में झाड़ियां ही झाड़ियां हुआ करती थी। तो झाड़ियों से झाड़ और खंड अर्थात क्षेत्र को मिलाकर इस मंदिर का नाम झारखंड महादेव मंदिर पड़ा।
सोमानी ने साउथ से करीब 300 कारीगरों को बुलाया और इस मंदिर का निर्माण करवाया।
कभी शुद्ध आबोहवा से सरोबार रहने वाले झारखंड महादेव मंदिर को तपस्वी बाबा गोबिंदनाथ के शिष्य बब्बू सेठ उर्फ गोबिंद नारायण सोमानी ने शिव देवालयों का पंचनाथी शिव धाम बनाया था।
मंदिर परिसर
मंदिर के अंदर भव्य कलाकृति
मंदिर का मुख्य द्वार
इस मंदिर का बाहरी हिस्सा बिल्कुल साउथ के मंदिरों जैसा ही है। जैसा कि इस तस्वीर में आप देख सकते हैं।
यह मंदिर जैसा आज दिखता है, पहले ऐसा नहीं था।
साल 1918 में जब मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था। तब यहां सिर्फ एक छोटा - सा कमरा हुआ करता था यानी कि शिवलिंग था जोकि चारो ओर दीवार से ढ़का था।
आपको मंदिर परिसर में पक्षियों का झुंड भी आसानी से देखने को मिल जाएगा।
साल 2000 में इस मंदिर को फिर से नया रूप दिया गया है।
इस महाशिवरात्रि आप भी पूरे परिवार संग आकर भगवान शिव के दर्शन करें और यहां की आबोहवा का लुफ्त उठाएं।
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