दरअसल, यह विवाद प्रश्नकाल में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ( Rajendra Rathore ) के बजरी खनन पट्टों को लेकर सवाल पूछने से शुरू हुआ था। इस मामले में खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने जवाब दिया कि खातेदारी भूमि में अप्रधान खनिज के एक से चार हेक्टेयर क्षेत्रफल तक के खनन पट्टे जारी किए जा रहे हैं। वर्तमान तक 10 खनन पट्टों की मंजूरी दी गई है। जबकि खनन पट्टा आवंटन के लिए 216 मंशा पत्र जारी किए गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने खनिज बजरी के दीर्घकालीन विकल्प के रूप में एम.सेण्ड के उपयोग के लिए राजस्थान ( Rajasthan ) एम.सेण्ड नीति विचाराधीन है। इसके बाद राठौड़ ने मंत्री से पूछा कि पिछली कांग्रेस सरकार के अक्टूबर 2012 से अप्रेल 2013 के बीच आखिरी एक साल के दौरान बड़े खनन पट्टों की नीलामी की संख्या और उससे मिली राशि की जानकारी मांगी।
इस पर मंत्री भाया ने जवाब दिया कि 27 फरवरी 2012 को न्यायालय ने बजरी खनन के लिए पर्यावरण स्वीकृति को जरूरी किया और सरकार को नियम बनाने के लिए छह महीने का समय दिया। इस पर राठौड़ के मंत्री को टोकने पर विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने उनसे कहा कि वह नीति पर नहीं पूछे, बल्कि सीधे सवाल करें। इस पर राठौड़ ने फिर कहा कि वह नीति पर नहीं पूछ रहे, बल्कि यह पूछ रहे हैं कि जब खुली नीलामी शुरू हुई तो कितनों की नीलामी हुई, उससे राजस्व कितना मिला। यह सवाल तो पूछ सकता हूं, लेकिन जोशी ने राठौड़ को फिर टोका और कहा कि वह लिखित में दिए प्रश्न को पढ़े, आपने बजरी का प्रश्न पूछा है। इससे राठौड़ उखड़ गए और कहने लगे कि यदि ऐसी ही हालत रही तो प्रश्न पूछना बंद कर देंगे। राठौड़ से बहस होने लगी तो जोशी ने अगला प्रश्न पुकार लिया। इससे भाजपा के विधायक उखड़ गए और शोर-शराबा करने लगे। जोशी ने भी सख्ती से कह दिया कि ऐसा नहीं चलेगा, आप बाहर जा सकते हैं। इसके बाद भाजपा के विधायक वेल में पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे।
भाजपा विधायकों ने वेल में खड़े होकर करीब 12 मिनट तक प्रश्नकाल समाप्त होने तक ‘सरकार को बचाना बंद करो’, ‘सवाल पूछना हमारा अधिकार है’ जैसे नारे लगाते रहे। शोरशराबे के बीच प्रश्नकाल के बाद की कार्यवाही जोशी ने शुरू कर दी। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कह दिया कि जब प्रश्न पूछने का अधिकार ही नहीं तो फिर हम प्रश्नकाल में आएं ही नहीं। जोशी ने इसका जवाब धन्यवाद से दिया। विरोधस्वरूप भाजपा विधायकों ने सदन से वॉक आउट कर दिया।