एसीपी आलोक सैनी ने बताया कि समीर ऑटो चलाता था और अपनी पत्नी व दो छोटे बच्चों के साथ पैतृक मकान के एक कमरे में रह रहा था। मकान समीर के दादा हाजी अलबक्स का है। दादा के चार बेटे हैं, जिनमें दो बेटे मेजर बने सिंह कॉलोनी में परिवार सहित रहते हैं। जबकि एक बेटा हसनपुरा और दूसरा खिरणी फाटक के पास रहता है। दादा समीर के पिता नवाब के पास रहता था। इसके चलते मकान का इकरारनामा बेटे नवाब के नाम कर दिया।
बाद में मनमुटाव होने पर दादा बगल वाले घर में रहने वाले छोटे बेटे सलीम के पास रहने लगा। वर्ष 2022 में मकान सलीम के नाम कर दिया। इसके बाद परिवार में झगड़े होने शुरू हो गए। इसी वर्ष दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ छह मुकदमे दर्ज करा चुके हैं। तीन बार दोनों पक्षों को पाबंद करवाया। समीर के हिस्से में एक ही कमरा होने के कारण वह पिता नवाब से मकान में हिस्सा मांगने लगा। लेकिन पिता ने हिस्सा नहीं दिया तो समीर अपने दादा व चाचा के पक्ष में हो गया। इसके चलते नवाब और उसके तीनों छोटे बेटे समीर के विरोध में हो गए। मृतक के चाचा सलीम ने हत्या के संबंध में मामला दर्ज कराया है।
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तीसरी बार में ले ली जान
परिजन ने बताया कि मंगलवार शाम करीब 5 बजे समीर की पत्नी की अपनी सास से कहासुनी हुई थी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों को शांत करवा दिया और लौट आई। करीब दो घंटे बाद परिवार के पुरुष घर आए, तब फिर झगड़ा हो गया। झगड़े में दादा अलबक्स का सिर फूट गया। सूचना पर फिर पुलिस पहुंची, लेकिन दोनों पक्षों को समझाकर फिर चली गई। बुधवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे नवाब दूध लेने घर से बाहर आया, तब छोटे भाई सलीम से कहासुनी हो गई।
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इस दौरान घर के अंदर से समीर के छोटे भाई अमजद, सद्दाम व अशफाक और उनकी मां भी बाहर आ गई। समीर चाचा का पक्ष लेने लगा, तभी मारपीट के दौरान एक भाई ने समीर के पेट में चाकू घोंप दिया। चाकू पेट में ही फंस गया। परिवार की महिलाओं ने बताया कि मंगलवार शाम को झगड़े की सूचना पर पहुंची पुलिस दोनों पक्ष के लोगों को गिरफ्तार कर लेती तो समीर के मासूम दोनों बेटों के सिर से पिता का साया नहीं उठता। उधर, डीसीपी वंदिता राणा ने मौका मुआयना कर एसीपी आलोक सैनी व थानाधिकारी हीरालाल सैनी को आरोपियों को जल्द पकड़ने के निर्देश दिए।