माता बगलामुखी आठवीं महाविद्या
डॉ. आशुतोष झालानी ने बताया कि प्राचीन तंत्र शास्त्रों में माता बगलामुखी 10 महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। दस महाविद्याओं काली, तारा, षोड़षी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला का उल्लेख मिलता है। इनकी साधना का अद्भुत महत्व है। यह भी पढ़ें – राजस्थान में 5 विधानसभा उपचुनाव पर अपडेट, कांग्रेस ने बनाई विशेष रणनीति पूजा में पीले रंग का विशेष प्रयोग
डॉ. आशुतोष झालानी ने बताया कि संपूर्ण सृष्टि में जितनी भी तरंग हैं, वो माता बगलामुखी की वजह से हैं। यह भगवती पार्वती का उग्र स्वरूप हैं। ये स्वयं पीली आभा से युक्त हैं और इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष प्रयोग होता है। इनको स्तम्भन शक्ति की देवी भी माना जाता है।
दुनिया में सिर्फ 3 स्थान पर हैं मां बगलामुखी का मंदिर
विश्व में सिर्फ तीन स्थानों पर मां बगलामुखी की पावन मूर्ति है। एक नेपाल, दूसरी दतिया (मध्य प्रदेश) में और एक यहां साक्षात नलखेडा में। माना जाता है कि नेपाल और दतिया में श्रीश्री 1008 आद्या शंकराचार्य जी ने मां की प्रतिमा स्थापित की थी, जबकि नलखेडा में इस स्थान पर मां बगलामुखी पीतांबर रूप में शाश्वत काल से विराजमान हैं। यह विश्व शक्ति पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है।