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Ayodhya Ram Mandir : जैन और सिख धर्म का अयोध्या से गहरा नाता, जयपुर के दोनों समाज 22 जनवरी को लेकर उत्साहित

Ayodhya Ram Mandir : भगवान राम की जन्म भूमि के साथ-साथ अयोध्या अनेक जैन तीर्थंकरों की जन्म स्थली है। साथ ही सिक्ख धर्म का भी अयोध्या से गहरा नाता है। गुरुनानक देव अयोध्या में सरयू नदी के किनारे ठहरे थे। 22 जनवरी को लेकर जयपुर के दोनों समाज के लोग काफी उत्साहित हैं।

जयपुरJan 21, 2024 / 10:00 am

Sanjay Kumar Srivastava

अयोध्या का अर्थ उस भूमि से है, जिसे कभी शत्रु भी न जीत सके। मर्यादा पुरुषोत्तम की जन्मस्थली अयोध्या का जैन समाज से भी गहरा नाता है। यह जैन समाज के पांच तीर्थंकरों की भी जन्मभूमि है। ऐसे में 22 जनवरी को यहां होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर जैन समाज में भी खासा उत्साह है। इसके अलावा गुरुबाणी में भी राम नाम का करीब 2 हजार बार उल्लेख हुआ है। शहर का सिख समाज भी प्रभु राम का स्वागत जोरदार तरीके से करेगा। पत्रिका ने दोनों धर्मों के प्रबुद्ध लोगों से बातचीत की।

प्रथम तीर्थंकर का जन्म स्थान अयोध्या

दिगंबर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद जैन ने बताया कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और भगवान अनंतनाथ का जन्म अयोध्या में ही हुआ। भरत चक्रवर्ती सहित कई महान शासकोंए महापुरुषों एवं शलाका पुरुषों का जन्म अयोध्या में ही हुआ है।

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विश्व में ज्ञान का प्रथम केंद्र भी

प्रमोद जैन ने बताया कि अयोध्या विश्व में ज्ञान का प्रथम केंद्र भी है। यहां भगवान ऋषभदेव ने अपने पुत्रों के साथ ब्राह्मी और सुंदरी नामक दो पुत्रियों को अंक और लिपि विद्या का ज्ञान दिया। अतरू ज्ञान का सर्वप्रथम प्रचार.प्रसार अयोध्या से ही हुआ। राजा ऋषभदेव ने प्रजा को षट्कर्म असी, मसी, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प का उपदेश दिया। रायगंज में भगवान ऋषभदेव की 31 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। यहां नौ से अधिक दिगंबर जैन तथा श्वेतांबर जैन समाज के मंदिर भी हैं। बड़ी संख्या में जैन धर्म के अनुयायी इन मंदिरों के दर्शनों के लिए अयोध्या पहुंचते हैं।



गुरुबाणी में दो हजार से अधिक बार राम नाम

राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सरदार जसबीर सिंह ने बताया कि गुरुबाणी में बार-बार राम के नाम का उल्लेख है। गुरुग्रंथ साहिब में कहा गया है कि निर्गुण ईश्वर सर्वव्यापक है। निर्गुण ईश्वर को ही दो हजार से अधिक बार राम के नाम से पुकारा गया है। सिंह ने बताया कि वर्ष 1510 में हरिद्वार से जगन्नाथपुर जाते हुए गुरुनानक देव अयोध्या में सरयू नदी के किनारे ठहरे थे। उस जगह पर अब ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा है।

गुरु तेग बहादुर भी अयोध्या में आए थे

विद्वानों के मतानुसार विक्रम संवत 1725 में नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर पुत्र गुरु गोविंद सिंह और पत्नी गुजरी कौर के साथ असम से आनंदपुर साहिब गए थे। इस दौरान उनके अयोध्या पहुंचने का भी उल्लेख मिलता है।

राम जन्मभूमि को मुक्त कराने अयोध्या पहुंचे थे निहंग सिख

वर्ष 1858 में अंग्रेजों से रामजन्मभूमि को मुक्त करवाने के लिए निहंग सिख भी अयोध्या पहुंचे थे। उन्होंने वहां मंदिरों की दीवारों पर जगह-जगह राम-राम भी लिखा। इसका हवाला सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में दिया गया है।

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