bell-icon-header
जयपुर

Lok Sabha Election 2024: 60-70 के दशक में जनता तय करती थी चुनावी मुद्दे, नेता करते थे सीधा संवाद

Lok Sabha Election 2024: लोकतंत्र के उत्सव में 60-70 के दशक में चुनावी मुद्दे जनता तय करती थी। नेता और जनता के बीच सीधा संवाद होता था।

जयपुरApr 10, 2024 / 12:37 pm

Rakesh Mishra

Lok Sabha Election 2024: लोकतंत्र के उत्सव में 60-70 के दशक में चुनावी मुद्दे जनता तय करती थी। नेता और जनता के बीच सीधा संवाद होता था। अलग-अलग समुदाय व वर्ग के लोगों को बुलाकार उनकी समस्याएं सुनीं जाती थीं, लोगों की जरूरतों पर ध्यान दिया जाता था, लेकिन समय के साथ नेता-जनता के बीच ‘दूरियां’ बढ़ती जा रही हैं। चुनावी मुद्दों में जनता से जुड़ी समस्याएं गौण नजर आती हैं, राष्ट्रीय मुद्दे हावी होते जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो पहले चुनावी ‘दंगल’ छह माह पहले ही शुरू हो जाता था, प्रत्याशी बिना बुलाए ही शादी-ब्याह में पहुंच जाते थे, मंदिरों में सवामणी में जीमने बैठ जाते थे, परोसगारी करते थे। चुनाव प्रचार के दौरान लोगों के घरों में एक-दो घंटे तक बैठ जाते थे। हंसी-मजाक के साथ जनता से अपनापन दिखाने की कोशिश रहती थी। अब समय के साथ चुनावी उत्सव का नजारा भी बदलता जा रहा है। नेताजी के साथ जनता के वास्तविक मुद्दे दूर होते जा रहे हैं।
लोगों को नहीं मिल रहा पर्याप्त पेयजल
राजधानी में ही लोगों को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है, गर्मियों की शुरुआत के साथ ही पेयजल संकट शुरू हो जाता है।

महिला सुरक्षा पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
राजधानी में ही महिला सुरक्षित नहीं है। रात को अकेली बाहर निकलने में डरती है। सार्वजनिक स्थलों, मंदिरों आदि जगहों पर महिला सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं है।
सुगम यातायात को लेकर पहल नहीं
राजधानी में दिनों-दिन यातायात जाम बड़ी समस्या बनती जा रही है। सुगम यातायात को लेकर न कोई बात होती है और न ही कोई प्लान धरातल पर उतरता है।
वर्षों पुरानी सीवरेज लाइन बदलने की जरूरत
शहर में सीवरेज लाइन वर्षों पहले उस समय की जरूरत के हिसाब से डाली गई थी, समय के साथ आबादी बढ़ती गई, लेकिन सीवरेज लाइन बदलने पर कोई काम नहीं हुआ। बाहरी क्षेत्रों में भी सीवरेज लाइन डाली जाए।
60-70 के दशक में चुनाव प्रचार के दौरान जो मीटिंग होती थी, उसमें जनता से उनकी समस्याएं पूछी जाती थी, लोगों के साथ क्षेत्र की जरूरतें पूछी जाती थी और उन्हें नेता अपने चुनावी मुद्दे बनाते थे। जीतने के बाद लोगों की इन समस्याओं का हल भी हो जाता था।
– सियाशरण लश्करी, संस्थापक अध्यक्ष जयपुर फाउंडेशन
1962 के लोकसभा चुनाव के दौरान समाज की मीटिंग में हमें बुलाया गया। सभी से समस्याएं पूछी गई। चुनाव जीतने के बाद उन समस्याओं का समाधान भी हुआ। नेता और जनता के बीच तब सीधा जुड़ाव होता था। अब समस्या पूछना तो दूर, जनता की सुनवाई तक नहीं होती है।
– देवेन्द्र सिंह सैंगर, वरिष्ठ नागरिक, निवासी वैशाली नगर
महिलाओं को सुरक्षा का माहौल मिले। सार्वजनिक स्थल, पार्क व मंदिरों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कदम उठाए जाएं। समस्या किसे बताएं, चुनावों में प्रत्याशी घर नहीं आते, उनके कार्यकर्ता पर्ची देने आते हैं।
– गंगादेवी, वरिष्ठ नागरिक, किशनपोल बाजार
यह भी पढ़ें

Rajasthan Politics : दिलचस्प हो रहा जयपुर शहर में BJP V/S Congress, अब आई ये लेटेस्ट अपडेट

संबंधित विषय:

Hindi News / Jaipur / Lok Sabha Election 2024: 60-70 के दशक में जनता तय करती थी चुनावी मुद्दे, नेता करते थे सीधा संवाद

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.