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जयपुर

पायलट गुट की याचिका पर सोमवार को होगी दोबारा सुनवाई, 21 जुलाई तक स्पीकर कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे

स्पीकर सीपी जोशी की ओर से सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्यता संबधी नोटिस को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने सुनवाई कर तय किया कि सोमवार को सुबह 10 बजे से फिर सुनवाई की जाएगी।
 

जयपुरJul 17, 2020 / 05:33 pm

rahul

sachin pilot ashok gehlot

जयपुर। कांग्रेस की सियासी उठापटक बरकरार है। स्पीकर सीपी जोशी की ओर से सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्यता संबधी नोटिस को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने सुनवाई कर तय किया कि सोमवार को सुबह 10 बजे से फिर सुनवाई की जाएगी और मंगलवार शाम 5 बजे तक विधायकों के नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सचिन पायलट की तरफ से पैरवी करते हुए कहा कि, मैं सरकार को गिरा रहा हूं या किसी भी लिमिट को क्रॉस कर कोई पाप करता तो तो समझ आता है कि मैं गलत हूं। मैं तो अभिव्यक्ति की आजादी के तहत आवाज उठा रहा हूं जो आर्टिकल 19 के तहत मुझे मिला है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे संविधान का हिस्सा है इसलिए इस नोटिस को तुरंत रद्द किया जाए।

हरीश साल्वे ने कहा कि अगर कोई विधायक अपने मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार और तानाशाही रवैए के खिलाफ बोलता है, अपनी अपने केन्द्रीय लीडर करे जगाता है तो यह बगावत नहीं है। साल्वे ने कहा कि स्पीकर का नोटिस गैरकानूनी हैै। पायलट की ओर से मुकुल रोहतगी ने भी कुछ फैसलों की नजीर पेश की वहीं दूसरे पक्ष की ओर से एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की। इससे पहले नोटिस को गुरुवार को हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती दी गई। एकलपीठ के समक्ष सचिन पायलट गुट के समर्थक पृथ्वीराज मीणा ने इसे चुनौती देते हुए रद्द करने की गुहार की।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हरीश साल्वे ने याचिका में संशोधन के लिए अदालत से अनुमति की गुहार की। उन्होंने अदालत से कहा कि प्रार्थी एमएलए विधानसभा स्पीकर की ओर से दिए गए अयोग्यता के नोटिस की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं, जिसे न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने मंजूर कर लिया था। इससे पहले एकलपीठ में सचिन पायलट गुट की ओर से यह भी दलील दी गई कि कांग्रेस एमएमएल विधायक दल की दो बैठकों में न रहने से दलबदलू कानून लागू नहीं हो जाता है। किसी भी व्यक्ति के बोलने की स्वतंत्रता को बाधित नहीं किया जा सकता है। इसी वजह से 10 वीं अनुसूची के मुताबिक दलबदल विरोधी कानून लगाया जा सकता है अगर सदस्य स्वैच्छिक तौर पर पार्टी को छोड़ देता है या फिर विधानसभा में पार्टी के आदेश के विपरीत वोट करता है। साल्वे ने अनुसूची दस के 2 ए 1 की संवैधानिकता को चुनौती दी है।

इन विधायकों को मिला था नोटिस
हाईकोर्ट में स्पीकर के अयोग्यता के नोटिस को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, दीपेंद्र सिंह, विश्वेन्द्र सिंह, हेमाराम चौधरी, गजेंद्र शक्तावत, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पी.आर.मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला और अमर सिंह ने चुनौती दी है।

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