उप मुख्यमंत्री शुक्रवार को राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा में दो दिवसीय श्री अन्न सम्मेलन के शुभांरभ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की बड़ी आबादी मधुमेह, मोटापें सहित कई दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही है। वही महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या जगजाहिर है। ऐसे में जिंक, आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर मिलेट्स फसलों को बढ़ावा देना जरूरी है। उन्होंने रारी द्वारा जिंक, आयरन से भरपूर बाजरा किस्म RHB-233 औरRHB-234 किस्म के विकास पर खुशी जताई। साथ ही मिलेट्स के प्रचार, प्रसार, जागरूकता और वैल्यू एडिशन पर जोर दिया।
श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बताया कि प्रदेश में 45 लाख हैक्टर जमीन में बाजरे की बुवाई होती है। राजस्थान में देसी बाजरी के दर्जन भर से ज्यादा जर्मप्लाज्म उपलब्ध है, जिनका उपयोग बाजरे की नवीन संकर किस्मों के विकास मे किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पूसा नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक का विकास किया है जिससे बाजरे के आटे को तीन महीने तक संरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय मिलेट किस्मों के विकास के साथ-साथ मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण पर ध्यान दे रहा है।
कार्यक्रम में राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा के निदेशक डॉ. अर्जुन सिंह बलौदा ,मिलेट्स विकास निदेशालय, जयपुर के निदेशक डॉ. सुभाष चन्द्र,श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव रामरतन शर्मा सहित बड़ी संख्या में कृषि वैज्ञानिक, किसान और विद्यार्थी उपस्थित थे।