जयपुर

Good News : किसानों की बल्ले-बल्ले, वर्मी कंपोस्ट इकाई के लिए मिलेंगे 50 हजार रुपए की सब्सिडी

Good News : राजस्थान के किसानों की बल्ले-बल्ले। इस साल प्रदेश में 5 हजार वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने की योजना है। इस योजना के तहत किसानों को 50 हजार रुपए की Subsidy दी जाएगी। इसकी जानकारी कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने दी।

जयपुरAug 30, 2024 / 04:25 pm

Sanjay Kumar Srivastava

वर्मी कंपोस्ट इकाई

Good News : प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार की नई घोषणा। राजस्थान में 5 हजार वर्मी कंपोस्ट इकाईयां स्थापित की जाएंगी। इसके लिए कृषकों को 50 हजार रुपए का अनुदान मिलेगा। आधुनिक युग में खेती में रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है। जिससे मृदा की उर्वरकता में कमी आ रही है। मृदा की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने वर्मी कंपोस्ट इकाई निर्माण की शुरुआत की गई है। इससे मृदा की जैविक व भौतिक स्थिति में सुधार लाया जा सकेगा। इससे मृदा की उर्वरकता एवं पर्यावरण संतुलन बना रहेगा।

जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है राज्य सरकार

रासायनिक उर्वरकों से खेती की बढ़ती हुई लागत को कम करने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पारंपरिक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जिससे फसलों को उचित पोषण मिलने पर उनकी पूर्ण वृ​​द्धि होगी एवं किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।
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इकाई लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 50 हजार रुपए मिलेगा अनुदान

कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने के लिए किसानों को इकाई लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 50 हजार रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5 हजार वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने के लिए जरूरी शर्तें

कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने के लिए किसान के पास एक स्थान पर न्यूनतम कृषि योग्य 0.4 हैक्टेयर भूमि का होना आवश्यक है। कृषक राज किसान साथी पोर्टल या नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाकर जन आधार के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए कृषक के पास न्यूनतम 6 माह पुरानी जमाबंदी होना आवश्यक है।

जैविक खेती : कम खर्च में अधिक उत्पादन

उल्लेखनीय है कि जैविक खेती कम खर्च में उत्पादन बढ़ाने का साधन है। जैविक खाद द्वारा मिट्टी के साथ मनुष्य की सेहत भी दुरुस्त रहती है। ऑर्गेनिक फार्मिंग से मिट्टी की संरचना बेहतर रहती है और पर्यावरण को भी लाभ होता है। इससे मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या और भूजल स्तर भी कायम रहता है।
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