कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शशिमोहन शर्मा ने बताया कि यह प्रोसीजर उन मरीजों के लिए है जिनमें गुर्दे की धमनियों में रुकावट नहीं दिखती। एक घंटे तक चले इस प्रोसीजर में गुर्दे की धमनी में एक पतली ट्यूब डाली गई, जो ध्वनि तरंगें या रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी भेजती है जो कि गुर्दे से जुड़ी सिम्पेथैटिक नर्व को अलग करती है। सिम्पेथैटिक नर्व हमारी क्रोध, घबराहट, नर्वस होने जैसी भावनाओं को नियंत्रित करने का काम करती है।
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उन्होंने बताया कि दवा लेने के बाद भी कई मरीजों की हाइपरटेंशन की समस्या ठीक नहीं होती। जिसके कारण उन्हें ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक या किडनी फेलियर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। हाइपरटेंशन को ठीक करने के लिए अब अत्याधुनिक रीनल डिनरवेशन तकनीक आ गई है। इस तकनीक से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज और किडनी फेलियर जैसी जानलेवा स्थितियों को रोका जा सकता है। इस तकनीक में काम आने वाला विशेष कैथेटर करीब 7 लाख रुपए का होता है। इसे बनाने वाली एक निजी फार्मा कंपनी ने नि:शुल्क दिया। क्योंकि यह उत्तर भारत में किसी सरकारी संस्थान में पहली बार इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा प्रोसीजर की दो लाख की लागत भी नि:शुल्क रही। कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शशिमोहन शर्मा और उनकी टीम डॉ. दिनेश गौतम, डॉ. धनंजय सिंह शेखावत और डॉ. सुनील शर्मा ने यह जटिल केस किया।