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जयपुर

Rajasthan: ये है हर घर नल की सच्चाई…गंदा पानी पीने को मजबूर लोग, हलक सूखे; तंत्र नाकाम

राजस्थान में गर्मी के तेवर जैसे-जैसे तीखे होते जा रहे है वैसे ही पानी का संकट गहराता जा रहा है।

जयपुरMay 05, 2024 / 04:05 pm

Lokendra Sainger

प्रदेश में गर्मी के तेवर तीखे होने के साथ ही जलदाय विभाग के पेयजल सप्लाई तंत्र की सांसें फूलने लगी हैं। गांव ही नहीं, शहरों व कस्बों में भी पानी पीने लायक भी नहीं मिल रहा। मजबूरन लोगों को मुंह मांगी कीमत पर टैंकर खरीदने पड़ रहे हैं। कुछ जिला मुख्यालयों पर भी 7 दिन में एक बार पानी मिल रहा है, तो कुछ गांवों में पलायन की स्थिति बन गई है। जमीनी हालात तो बहुत भय़ावह बन रहे हैं, विभाग भी 251 से ज्यादा गांवों व कस्बों में पानी की भारी किल्लत स्वीकार कर रहा है। कई इलाकों में तो मटमैले पानी के लिए भी लाइन लगाने को मजबूर हैं। हरियाणा से सटे गांवों के लोग तो हरियाणा के गांवों से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। राजस्थान पत्रिका ने प्रदेश में बढ़ती गर्मी के साथ पेयजल व्यवस्था के जमीनी हालात जाने तो यह तस्वीर सामने आई…

आंकड़ों की जुबानी, प्यास की कहानी

-251 कस्बे ऐसे हैं जहां पेयजल सप्लाई पूरी तरह से गड़बड़ाई
-117 कस्बे ऐसे हैं, जहां पर 24 घंटे में एक बार मिल रहा पानी
-111 कस्बों में 48 घंटे में नसीब होता है पानी
12 कस्बों में 72 घंटे, 11 कस्बों में 96 घंटे से भी अधिक समय में एक बार पेयजल सप्लाई
(जलदाय विभाग के आंकड़ों के अनुसार)

सीमित पानी, कैसें दे आपूर्ति

राज्य में गर्मी में अक्सर जलदाय विभाग पानी की पर्याप्त सप्लाई को लेकर हाथ खड़े कर देता है। यही स्थिति इस बार बन गई है। गर्मी में पेयजल की मांग को देखते हुए विभाग ने पहले से योजना तैयार नहीं की। उधर, विभागीय अधिकारी यह कहकर बचने का प्रयास कर रहे हैं कि राज्य में सीमित मात्रा में ही पेयजल उपलब्ध है। फिर पर्याप्त पेयजल सप्लाई कैसे करें।
यहां 72 घंटे में आ रहे नल: भीलवाड़ा के हमीरगढ़, गंगापुर, डीडवाना, मेड़ता सिटी, बासनी, खेड़ली, बहादुरपुर, कामां, मंडावर, विराट नगर, बाड़मेर, समदड़ी।
96 घंटे में मिल रहा पानी: बांदीकुई, दौसा, बसवा, श्रीमाधोपुर, बालोतरा, सिवाना, भीनमाल, आमेट, देवगढ़, मकराना और बोरावड़ ।

प्रदेश में पिछले साल बारिश का हाल

विभागीय रिकॉर्ड के मुताबिक प्रदेश में पिछले साल सामान्य से 0.8 फीसदी से अधिक वर्षा हुई। 2 जिलों में असामान्य, 8 जिलों में अधिक और 16 जिलों में सामान्य वर्षा हुई थी। 5 जिले जिनमें कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ और चित्तौड़गढ़ ऐसे जिले हैं, जहां सामान्य से कम वर्षा हुई थी।

पानी के लिए जगह-जगह प्रदर्शन

सीकर संभाग मुख्यालय पर 20 से 24 घंटे में पेयजल सप्लाई हो रही है। शहर के 30 मोहल्लों में सबसे ज्यादा समस्या है। गत पांच दिन में 8 से ज्यादा जगह प्रदर्शन हो चुके हैं। नीमकाथाना जिले के श्रीमाधोपुर में लगभग 90 घंटे बाद पानी मिल रहा है। लोग टैंकर मंगाने को मजबूर हैं। विभाग ने खंडेला, श्रीमाधोपुर व दांतारामगढ़ इलाके के कुछ गांव-ढाणियों में टैंकर सप्लाई शुरू की है।

प्रदेश के ग्राउंड हालात….हरियाणा तक से ला रहे पानी

झुंझुनूं जिले के हरियाणा सीमा से सटे पिलानी, बुहाना व सूरजगढ़ क्षेत्र में लोग हरियाणा के गांवों खेड़की, बास, नांगलकाठा, मेई, महरमपुर सहित अन्य जगहों से टैंकरों एवं भूमिगत पाइप लाइन डालकर पानी लाने को मजबूर हैं। दौसा जिला मुख्यालय और बांदीकुई में सप्ताह में एक बार मात्र 45 मिनट विभाग पेयजल की सप्लाई कर रहा है। टोंक जिला मुख्यालय के पास बनास नदी और नजदीक बीसलपुर बांध होने के बावजूद शहर में दो दिन में एक बार जलापूर्ति हो रही है। अलवर शहर के कुछ इलाकों में 24 घंटे में तो कई इलाकों में 4 दिन बाद पानी मिल रहा है। पानी भी 10 से 30 मिनट ही आ रहा है। झालावाड़ जिले के झालरापाटन, बकानी, अकलेरा, मनोहरथाना, पिड़ावा ब्लॉक के 58 गांवों में टैंकरों से जलापूर्ति हो रही है। अजमेर शहर के दूरस्थ व ऊंचाई वाले इलाकों में पेयजल आपूर्ति 3 से 5 दिन में हो रही है। कई क्षेत्रों में लोगों को टैंकरों से पानी मंगवाना पड़ रहा है। टैंकर के 300 से 500 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। पाली जिले के शहरी क्षेत्रों में 48 घंटे और गांवों में 72 घंटे के अंतराल से जलापूर्ति की जा रही है। उदयपुर जिले के कई गांवों में लोगों को एक-एक मटके पानी के लिए एक किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है। जोधपुर जिले में दो दिन में एक बार पानी मिल रहा है।

जयपुर में 24 घंटे, बगरू, चौमूं में 48 घंटे में पानी

जयपुर शहर और जिले के कुछ हिस्सों में पेयजल सप्लाई का बीसलपुर बांध ही एक मात्र स्रोत है। जयपुर शहर, बस्सी, चाकसू, दूदू फागी और बगरू में बीसलपुर बांध से 24 घंटे में एक बार ही पानी दिया जा रहा है। शहर के झोटवाड़ा, आमेर व बाहरी इलाकों में पेयजल संकट ज्यादा गहरा रहा है। लोग पानी टैंकर मंगाने को मजबूर हैं। बगरू व आस-पास के इलाके में तो नलकूप भी सूख रहे है।

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