फिल्म का मुख्य आकर्षण प्रसाद ओक का प्रदर्शन है। उन्होंने जिस तरह से आनंद दिघे के किरदार को सजीव किया है, वह लाजवाब है। ओक की भावनात्मक गहराई और उनके द्वारा निभाई छोटी-छोटी बारीकियां दर्शकों को बांधे रखने में सक्षम दिखती हैं। उन्होंने एक नेता के रूप में दिघे के संघर्ष को पेश किया। साथ ही उनके व्यक्तिगत जीवन के उतार-चढ़ाव को भी संवेदनशीलता के साथ निभाया।
प्रवीण तरडे ने किया निर्देशन निर्देशक प्रवीण तरडे ने इस फिल्म को बड़ी ही खूबसूरती से पेश किया है। तरडे ने राजनीतिक घटनाओं और निजी जीवन के भावनात्मक पहलुओं को एकसाथ मिलाकर एक अत्यधिक प्रभावी फिल्म तैयार की है। महेश लिमये की सिनेमैटोग्राफी ने ठाणे और उसके आसपास के इलाके को प्रभावशाली तरीके से दिखाया है। फिल्म का संगीत और पार्श्वसंगीत प्रभावशाली है। यह फिल्म शक्तिशाली कहानी के साथ-साथ उत्कृष्ट अभिनय और निर्देशन का बेहतरीन उदाहरण है।