प्रदेश में कोई आपराधिक घटना होने पर जब उसके तार जेल से जुड़ते हैं तो पुलिस औचक निरीक्षण के नाम पर सर्च करती है। लेकिन सर्च में पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगता है। ऐसे में सवाल उठता है कि सर्च की सूचना लीक हो जाती है या फिर जेल प्रशासन की खामियों को दबाने के लिए खानापूर्ति की जाती है। जबकि जेल में कैदियों के हाथ में मोबाइल के मामले लगातार सामने आते रहे हैं।
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दरअसल, मंगलवार को एक बार फिर पुलिस ने घाटगेट स्थित सेंट्रल जेल में सर्च की। दोपहर करीब दो बजे एडिशनल डीसीपी (पूर्व) आशाराम चौधरी 150 पुलिसकर्मियों का जाब्ता लेकर जेल पहुंचे। सर्च के दौरान कारागार का चप्पा-चप्पा छाना गया, लेकिन पुलिस इस बार भी खाली हाथ ही थे। इस काम के लिए जेल प्रहरी ने 20 हजार रुपए का सौदा किया था। हालांकि सजगता के चलते मोबाइल फोन कैदियों के हाथ लगने से पहले ही जब्त कर लिए गए। मामले में पुलिस संजय और शाहिद को गिरफ्तार कर चुकी है। कैदियों के पास न तो कोई मोबाइल मिला, न ही कोई सिम बरामद की गई। इतना ही नहीं मादक पदार्थ, सिगरेट-बीड़ी व अन्य कोई प्रतिबंधित सामान नहीं मिला
सीएम को भी मिल चुकी है जेल से धमकी
इसी साल जनवरी में पुलिस कंट्रोल रूम में एक कॉल पर मुख्यमंत्री भजनलाल को जान से मारने की धमकी मिली थी। पुलिस ने पड़ताल की तो पता चला कि जयपुर सेंट्रल जेल से धमकी भरा फोन किया गया था। इसके बाद दौसा की जेल से मुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी भरा कॉल किया गया था।पुलिस की सर्च में कुछ नहीं मिला
■ अगस्त 2023 को जयपुर सेन्ट्रल जेल में सर्च, कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।■ फरवरी 2024 में जयपुर सेंट्रल जेल में 300 से ज्यादा जवानों व अधिकारियों ने सर्च की, लेकिन फिर खाली हाथ ही रही।