जयपुर . मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका के बारे में दिए अपने बयान पर कहा कि मैंने तो न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के बारे में पूर्व न्यायाधीशों की कही बात दोहराई थी। फिर भी कुछ आपत्तिजनक लगता है तो बिना शर्त माफी चाहता हूं। हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के इस जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए याचिकाकर्ता से पक्ष रखने को कहा है। अब सुनवाई 7 नवम्बर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश ए जी मसीह व न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने अधिवक्ता शिवचरण गुप्ता की जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। याचिका में सीएम के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग की है। सीएम की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने जवाब पेश किया। जवाब में गहलोत की ओर से कहा कि वे न्यायपालिका का सम्मान करते हैं। यह भी कहा, मैं पिछले कुछ वर्षों से पढ़ रहा हूं कई पूर्व व मौजूदा जजों ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की बात कही थी। जवाब में कई पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों के कथन को भी शामिल किया है। यह सब कहने के पीछे उनका मकसद न्यायपालिका की गरिमा को नुकसान पहुंचाना नहीं था। ऐसे में उन्हें माफ कर याचिका को खारिज कर दिया जाए।
गहलोत ने कहा: सरकार पर झूठे आरोप लगाना बंद करें पीएम मोदी
नाथद्वारा.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेवाड़ में लोगों को गुमराह किया। उन्होंने राजस्थान का जो चित्रण किया है, वह उचित नहीं। गहलोत ने मिशन-2030 के तहत मंगलवार को यहां सभा को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने देश में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। चाहे सोशल सिक्योरिटी हो, महंगाई राहत की बात हो या हमारे बनाए कानून हों, जिनकी देश और दुनिया में चर्चा हो रही है। कोरोनाकाल में भीलवाड़ा मॉडल की तारीफ डब्ल्यूएचओ ने भी की। राइट टू हेल्थ, न्यूनतम आय अधिनियम, किसानों की जमीन कुर्की से बचाने का कानून बना। लेकिन सभा में जनता को भ्रमित करने के लिए पीएम कई झूठे आरोप लगाए, यह उचित नहीं था।
पद की गरिमा रखें…
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, आप प्रधानमंत्री हैं, आपके पद की गरिमा है। चुनाव जीतने के लिए जिस प्रकार आप, आपके साथी केन्द्रीय मंत्री और पूरा कुनबा बैठा हुआ है राजस्थान में, धावा बोल दिया है। आपके नेता क्या बोलकर झूठे आरोप लगाते हैं, वह आपको भी मालूम है। ऐसे झूठे आरोप लगाना बंद करें। गहलोत ने केंद्र पर राजस्थान के प्रोजेक्ट बंद करने के आरोप लगाए।
मुख्यमंत्री गहलोतकी ओर से जवाब
भूलकर भी कानून व न्यायपालिका का सम्मान कम करने के लिए बयान नहीं दिया। फिर भी लगता है कि कुछ अवमाननाकारक कहा है तो वे बिना शर्त माफी मांग रहे हैं।