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इसीलिए राष्ट्रीय आन्दोलन में बालक, युवा, वृद्ध एवं महिलाओं की आंदोलन में सहभागिता मजबूरी नहीं थी अपितु महात्मा गांधी की एक अपील पर सम्पूर्ण समाज उनके साथ चल दिया। सरकारों का यह दायित्व है कि समाज में सही विचार एवं सही संस्कारों का भी पोषण किया जाये। आज समाज को मानवीय बनाया जाना प्रमुख लक्ष्य है ताकि ‘आध्यात्मिक रिक्तता’ के दौर से गुजर रही नई पीढ़ी को संवेदनशील बनाया जा सके। भारतीय लोकतंत्र में विचारों की अभिव्यिक्ति की परम्परा रही है। समस्त वैचारिक मतभेदों के बावजूद भी विपक्षी के सम्मान एवं गरिमा को प्रमुखता दी जाती रही है।
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महात्मा गांधी इन्स्टीट्यूट ऑफ गवर्नेन्स एण्ड सोशल साइन्सेज की स्थापना किये जाने के लिए निजी तौर पर उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया और कहा कि संस्थान गांधी के विचारों को स्थापित करने का अनुकरणीय प्रयास है, जो निश्चित रूप से भावी पीढ़ी के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
संस्थान के निदेशक प्रो. बी. एम. शर्मा ने विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये लोकतांत्रिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखे जाने को महत्वपूर्ण माना। उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुये कहा कि 02 अक्टूबर, 2021 से प्रारम्भ किये गये गांधी संस्थान के इस प्रकल्प द्वारा अब तक गांधी दर्शन सम्बन्धी 18 प्रशिक्षण शिविर किये जा चुके है।
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कार्यक्रम में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति प्रो. राजीव जैन, हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की कुलपति सुधि राजीव, राजीव गांधी अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष प्रो. सतीश राय, पूर्व आई. ए. एस. डॉ. एस. एन. सिंह, प्रो. पी. सी. त्रिवेदी, गांधीवादी विचारक धर्मवीर कटेवा सवाई सिंह आदि एवं विभिन्न गांधीवादी प्रबुद्धजन सम्मिलित रहे। उपस्थित अतिथियों का स्वागत संस्थान के विशेषाधिकारी डॉ. सौमित्र नाथ झा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ज्योति अरुण एवं प्रो. विकास नौटियाल द्वारा किया गया। इस दौरान संस्थान के अकादमिक सलाहकार प्रो. डॉ. संजय लोढा द्वारा अतिथियों का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया गया।