क्योंकि… बेहद छोटी होती है चिन्हों की बनावट
बाजारों में शाकाहारी उत्पादों पर हरा, मांसाहारी पर लाल और केवल एग इस्तेमाल होने वाले उत्पादों पर भूरा चिन्ह बना रहता है। बाजार में 40 फीसदी खाने के पदार्थ मांसाहारी और 60 फीसदी शाकाहारी है। उत्पाद पर चिन्ह की बनावट छोटी होने के कारण आमजन का ध्यान नहीं जा पाता है। बाजार में चॉकलेट चिप्स, कुकीज, टॉफी, मसाले आदि प्रोडक्ट मांसाहारी भी बेचे जा रहे हैं। लोग आसानी से पता नहीं लगा पाते कि उत्पाद मांसाहारी है या फिर शाकाहारी।
दिया जाएगा सात्विक सर्टिफिकेट
इसी भ्रम को दूर करने के लिए अब केन्द्र सरकार ने सात्विक कौंसिल का गठन किया है। कौंसिल की ओर से सात्विक सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। सबसे पहले सात्विक सर्टिफाइड लेवल केन्द्र सरकार के रेल मंत्रालय की ओर से देश की प्रसिद्ध ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए दिया जा रहा है। इनमें सात्विक सर्टिफाइड शुद्ध शाकाहारी भोजन दिया जा रहा है। सात्विक सर्टिफाइड लेबल का मतलब है कि ट्रेन में मांसाहार का कोई व्यंजन नहीं दिया जाएगा, न ही ट्रेन में कोई बाहर से लाकर खा सकेगा।
बच्चों को देखी हुई चीजें आसानी से याद रहती है। मेरी 8 साल की छोटी बच्ची है वो बहुत बार बिना चिन्ह देखे चॉकलेट, कुकीज खा लेती है। हम बेटी को जागरूक करते हैं। विज्ञापनों में भी उत्पाद की पूरी जानकारी देनी चाहिए।
निधि माथुर
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अक्सर दुकानों पर साधारण और अंडे वाली चॉकलेट्स को साथ रखा जाता है। चिन्ह पर ध्यान नहीं जाता है। क्योंकि वे कोने में छोटे से बनाए जाते हैं। दुकानदार भी जानकारी नहीं देते। मैं शाकाहारी हूं, गलती से एक बार वेज की जगह मैंने एग वाली टॉफियां खरीद ली थी।
मेघा चौहान