- जो कॉलोनियां अनुमोदित की गई हैं, उनमें भूखण्ड और संभावित लोगों की संख्या के आधार पर ही पेयजल, सीवर, ड्रेनेज, बिजली, सड़क सहित अन्य सुविधाएं हैं। इन्हीं सीमित संसाधनों के बीच बहुमंजिला इमारतों के निर्माण से लोगों की सुविधाएं बंट रही हैं। स्थानीय लोग और बहुमंजिला इमारतवासी दोनों की सुविधाओं में कटौती।
- मसलन, कॉलोनी में 100 भूखंडों के आधार पर सुविधाएं विकसित की गई हैं। यह सुविधा 500 से 600 लोगों के लिए ही है। लेकिन, बहुमंजिला इमारत की अनुमति देने पर यहां लोगों की संख्या 400 और बढ़ जाती है यानि उसी कॉलोनी में एक हजार लोग रहेंगे। जबकि सुविधाएं कम लोगों के आधार पर विकसित की गई। इससे मौजूदा लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
- कॉलोनियों में दो व इससे अधिक भूखंडाें का पुनर्गठन कर ऊंची इमारतें बनाने का रास्ता खुल गया था अभी।
प्रदेश के एक लाख व उससे अधिक आबादी वाले शहरों में ये प्रावधान लागू हैं। इसके तहत भूतल प्लस पांच या छह मंजिल तक इमारत निर्माण की अनुमति है। जबकि, संशोधन के बाद भूतल प्लस चार मंजिल तक ही निर्माण कर सकेंगे। हालांकि, इमारत की ऊंचाई की अनुमति सड़क चौड़ाई और भूखंड क्षेत्रफल के आधार पर भी दी जाती है।
नेशनल बिल्डिंग कोर्ड में 15 मीटर व इससे अधिक ऊंची इमारत को हाईराइज बिल्डिंग में शामिल किया गया है। जबिक, बिल्डिंग बायलॉज में 18 मीटर व इससे अधिक का प्रावधान है। इससे गफलत की स्थिति बनी हुई है। फायर एनओसी में दिक्कत हो रही है।
- मल्टीस्टोरी बिल्डिंग की परिभाषा राष्ट्रीय स्तर पर तय है, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने कुछ चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए इसे बदल दिया। इससे कॉलोनियों में ही ऊंची इमारतें बन गई। यदि पुराने प्रावधान रेस्टोर करते हैं तो यह शहरवासियों के लिए राहत होगी।
-एच.एस. आजाद, एक्सपर्ट, वरिष्ठ नगर नियोजक