जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत के निर्देश पर विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। अफसरों को यह भी साफ कर दिया कि सरकार के आदेश के बिना भविष्य में किसी तरह की नीलामी नहीं होगी। गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में ये दोनों जमीनाें को कौडियों के दाम बेचने के आरोप में पूर्ववर्ती सरकार व अधिकारी घिरे हुए हैं। बाजार दर से काफी कदम कीमत पर जमीनें नीलाम कर दी गई थी। राजस्थान पत्रिका ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित कर मिलीभगत के इस खेल का उजागर किया था।
इन जमीनों को बेचा गया था
अलवर जिले के उमरैण में जिस 1.62 हेक्टेयर जमीन को बेचा गया, उस पर उद्यानिकी विभाग की नर्सरी है। मंत्री किरोड़ीलाल मीना ने भी जमीन नीलामी का विरोध किया था और आरोप लगाए थे कि कौड़ियों में जमीन बेची गई। बीकानेर के बीछवाल में 20.59 हेक्टेयर जमीन की नीलामी की गई। लेकिन बाद में एक फर्म कोर्ट में चली गई और मामला विवादों में आ गया।
प्रोजेक्ट में 90 प्रतिशत पैसा केन्द्र देगी, इसलिए बेचने की जरूरत नहीं…
पूर्ववर्ती सरकार में कैबिनेट ने जमीन नीलाम करने और उस राशि का उपयोग प्रोजेक्ट निर्माण में करने का निर्णय किया था। इसकी आड़ में चहेतों को कौडि़यों के दाम जमीन बेचने का खेल शुरू हुआ। चूंकि, भाजपा सरकार आने के बाद प्राेजेक्ट विवादों से निकला। केन्द्र सरकार की ओर से कुल लागत की 90 प्रतिशत राशि वहन करना प्रस्तावित है। ऐसे में अबजमीन बेचने की कोई जरूरत नहीं होगी। ईआरसीपी के नाम पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने जमकर भ्रष्टाचार किया। कौड़ियों के दाम पर जमीनें बेच दी गई। भौतिक सत्यापन किए बिना ही उस जमीन को भी नीलाम कर दिया, जिस पर उद्यानिकी विभाग काबिज था। भाजपा सरकार में ऐसे किसी भ्रष्टाचार के लिए जगह नहीं है।
– सुरेश सिंह रावत, जल संसाधन मंत्री