जयपुर

राजस्थान में ‘भागवतगीता’ ‘वैदिक परम्परा’ ‘जीणमाता’ समेत इन 20 लोक देवताओं की होगी पढ़ाई

Rajasthan Big News: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यहां श्रीनाथ जी पीठ की स्थापना के आधार पर यहां लोकदेवताओं के पाठ इसमें शामिल किए जाएंगे।

जयपुरMay 17, 2023 / 01:29 pm

Navneet Sharma

Rajasthan Gurukul News

Rajasthan Big News: शिक्षा के क्षेत्र में मेवाड़ में जल्द लोकदेवताओं की पीठ होगी। इस पर काम शुरू हो गया है। मोहनलाल सुखाड़िया विवि का नॉर्थ कैंपस, राजसमन्द जिले में बिलोता में बनकर तैयार हो चुका है। इसे विवि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर तैयार कर रहा है। एक जुलाई से यहां कन्या महाविद्यालय खुलेगा, वहीं चरणबद्ध लोकदेवताओं से जुड़ी पढ़ाई के लिए श्रीनाथ जी पीठ स्थापित होगी। कन्या महाविद्यालय के लिए सरकार ने स्वीकृति जारी कर दी है तो जल्द ही लोकदेवताओं की पीठ को लेकर भी मुहर लगेगी और छात्र लोकदेवताओं को लेकर पढ़ाई करेंगे।

इन लोकदेवताओं की होगी पढ़ाई
लोक परम्परा से जुडे़ पाठ्यक्रमों में कल्लाजी, गुसांईजी, गुरु जम्भेश्वर, गोगाजी, जीणमाता, शाकम्भरी माता, सीमल माता, हर्षनाथजी, केसरियाजी, मल्लीनाथजी, शिला देवी, कैला देवी, ज्वाला देवी, कल्ला देवी, तेजा जी, पाबूजी, खैरतलजी, करणी माता, राजेश्वरी माता व बाबा रामदेव सहित अन्य लोकदेवताओं से जुड़ी पढ़ाई हो सकेगी। इन्हें विवि चरणबद्ध तरीके से शुरू करेगा।

इसलिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यहां श्रीनाथ जी पीठ की स्थापना है, सरकार को इसका प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने इसकी नींव डाली थी। भेजे गए प्रस्ताव के आधार पर यहां लोकदेवताओं के पाठ इसमें शामिल किए जाएंगे। कन्या महाविद्यालय में बीए, एमए, बीकॉम, बीएससी, एमएससी, बीसीए, एमसीए, बीबीए व एमबीए के पाठ्यक्रम संचालित होंगे।

 

सर्टिफिकेट कोर्स

● वेद विभूषण

● भक्ति शास्त्र

● वल्लभ दर्शन

● श्रीमद् भागवतगीता पुराण

● योग विज्ञान

● वैदिक ज्योतिष

● वैदिक वास्तु

● कर्मकांड-पोरोहित्य

● देवालय प्रबंधन

ये प्रमुख विषय होंगे
● श्री वल्लभ दर्शन व वैष्णव परम्परा ● योग विज्ञान

● श्री मद् भागवतगीता व श्रीमद् भागवत पुराण

● वैदिक ज्योतिष व वास्तुशास्त्र

● कर्मकांड व परोहित्व

● मंदिर प्रबन्धन

● भारतीय संस्कृति व वैदिक परम्परा ● हवेली संगीत

● पिछवाई नाथद्वारा चित्र शैली

● मोलेला मृण्मय कला

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