निरीक्षक शर्मा ने बताया कि सोशल-मैट्रिमोनी साइट्स, मोबाइल एप, बैंकिंग फ्रॉड, सिम स्वैपिंग, डिजिटल अरेस्ट, ट्रेनिंग, शॉपिंग साइट्स और ज्यूस जैकिंग आदि नए तरीके के साइबर अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने इन से बचने के उपाय भी बताए। कार्यक्रम की शुरुआत में संस्था अध्यक्ष अमित देव ने साइबर एक्सपर्ट का स्वागत किया। सेमिनार में 300 से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हुए।
एआइ ने बदले साइबर ठगी के तरीके
पुलिस निरीक्षक ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) ने साइबर ठगी के नए तरीकों को जन्म दिया है। इसके जरिए अब साइबर ठग आपकी आवाज में रिश्तेदार या दोस्तों को कॉल करते हैं और उनसे पैसे की डिमांड करते हैं।
डिजिटल अरेस्टिंग में लोगों के घरवालों को कॉल करते हैं, जिसमें वो अधिकारी बनकर बात करते हैं और उन्हें डराकर लाखों रुपए मांगते हैं। ऐसे में बच्चों को माता-पिता का पहले से ही आगाह करने की आवश्यकता है। सेमिनार में छात्र-छात्राओं ने भी सवाल-जवाब किए।
पत्रिका की ओर से यह अच्छी पहल है। साइबर क्राइम के बारे में सुना था, लेकिन यह किस तरह होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है। यह आज पहली बार सुना है। यह जानकारी मैं घर और दोस्तों से भी साझा करूंगी।
मनीषा सैनी, स्टूडेंट साइबर क्राइम के बारे में रोज पढ़ते हैं, लेकिन इतनी गहराई से जानकारी आज मिली है। ऐसे जागरूकता कार्यक्रम होते रहने चाहिए ताकि हम तकनीकी तौर पर इन्हें अच्छे समझकर कर साइबर क्राइम से बच सकें।
अमन बैरवा, स्टूडेंट
यह है समाधान
फाइनेंशियल फ्रॉड होने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें साइबर क्राइम वेबसाइट पर अपनी रिपोर्ट दर्ज करवाएं। नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं। पब्लिक प्लेस पर चार्जिंग प्वाइंट का इस्तेमाल करने से बचें। हर जिले में साइबर थाना है वहां अपनी रिपोर्ट दर्ज करवाएं।