Rajasthan Forest Department : राजस्थान वन विभाग के नाकारा सिस्टम और अफसरों की मनमानी की कीमत वन्यजीवों को अब जान गंवाकर चुकानी पड़ रही है। इसका उदाहरण मंगलवार को नाहरगढ़ जैविक उद्यान में देखने को मिला है। बीते दिनों रेस्क्यू कर पिंजरे में कैद की गई मादा पैंथर बसंती की मंगलवार को दोपहर एक बजे संदिग्ध हालत में मौत हो गई। अपनी नाकामी छुपाने के लिए जिम्मेदार उसे उम्र के आखिरी पड़ाव पर बता रहे हैं। मामला ये है कि जवाहर नगर स्थित फोरेस्ट कॉलोनी में डीएफओ समेत विभाग के कई उच्च अधिकारी रहते हैं। कॉलोनी झालाना जंगल से जुड़ी है। शिकार करने के लिए बसंती कॉलोनी में पहुंच गई। वन अधिकारियों ने उसको कैद कराने के लिए पिंजरा रखवा दिया। ऐसे में बसंती को वहां पर 8 नवंबर को पिंजरे में कैद कर लिया गया। अफसरों के फरमान पर उसे जंगल में छोड़ने की बजाय नाहरगढ़ जैविक उद्यान में भेज दिया गया। यहां रेस्क्यू सेंटर में पिंजरे में कैद कर दिया।
पिंजरे में आती ही वो शॉक में आ गई
पूछताछ में पता चला कि बसंती खुले जंगल में रहती थी। पिंजरे में आती ही वो शॉक में आ गई। फिर भी उसे जंगल में नहीं छोडा गया। उसे मांस दिया जा रहा था। लेकिन, उसने खाया नहीं। इस वजह से उसकी हालत बिगड़ती गई। अफसरों के घर में घुसने की सजा दी जा रही थी।
आठ साल बढ़ा दी उम्र
कार्यवाहक एसीएफ रघुवीर मीणा ने बताया कि पैंथर की मौत का कारण उम्रदराज होना ही है। उसके मुंह में दांत और चारों पैरों में नाखून नहीं थे। बच्चेदानी में भी मवाद थी। वो पांच दिन से खाना नहीं खा रही थी। कागजों के अुनसार 13 दिन में बंसती की उम्र आठ साल बढ़ा दी गई।
ये हैं बड़ा सवाल
जिस दिन पैंथर का रेस्क्यू किया, तब उसे स्वस्थ बताया गया था। उम्र भी दस वर्ष ही बताई गई थी। बड़ा सवाल ये हैं कि अगर बसंती बीमार या उम्रदराज थी तो शिकार के लिए फोरेस्ट कॉलोनी कैसे पहुंची। इस स्थिति में अफसरों को उससे खतरा महसूस क्यों हुआ।
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