मंदिर का निर्माण रायसर दरबार के समय भांगी मीणा नाम के व्यक्ति ने करवाया था। माता का मंदिर 1350 फीट ऊंची अरावली पहाड़ी की चोटी पर विराजमान है। मंदिर तक पहुंचाने के लिए सर्पिलाकार पक्का रास्ता बना हुआ है, जिसमें 750 सीढ़ियां है। मार्ग में 370 सीढ़ियों पर केसर सिंह और 410 सीढ़ियों पर पृथ्वी सिंह नाम के भैरव मंदिर विराजमान है।
वहीं मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर गणेशजी और लांगड़ा भैरव स्थित है। माता के मंदिर में वर्षभर 24 घंटे देसी घी की ज्योत जलती है और सुबह शाम रोजाना मंदिर में ढोल नगाड़ों व शंखनाद के साथ आरती की जाती है। पहाड़ी की तलहटी स्थित परिसर में प्रतिवर्ष नवरात्र और फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को मुख्य लक्खी मेला भरता है। बांकी माता को खीर, पुआ, पूड़ी व चूरमा का भोग लगाया जाता है।