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जयपुर

पुरातत्व विभाग: टिकटों की हेराफेरी…नौ साल बाद एसीबी ने दर्ज किया मामला

एक करोड़ हड़़पे, 4 कर्मचारियों पर एफआइआर

जयपुरMay 14, 2024 / 11:59 am

Om Prakash Sharma


ओमप्रकाश शर्मा
जयपुर. पुरातत्व विभाग के विभिन्न संग्रहालयों में टिकटों की हेराफेरी कर गबन के मामले में एसीबी ने नौ साल बाद एफआइआर दर्ज की है। पत्र सूचना रिपोर्ट पर जांच के बाद एसीबी ने चार कर्मचारियों पर एक करोड़ रुपए के गबन की एफआइआर दर्ज की है। इस मामले में विभागीय जांच में आरोप प्रमाणित पाए गए थे। रिपोर्ट के आधार पर एक कर्मचारी को बर्खास्त भी किया गया था।
एफआइआर केन्द्रीय संग्रहालय अल्बर्ट हॉल के तत्कालीन लिपिक मनीष माथुर निवासी श्याम मार्ग, शास्त्रीनगर, जंतर मंतर के तत्कालीन लिपिक संदीप ऐरन निवासी देवी नगर, न्यू सांगानेर रोड सोडाला, अल्बर्ट हॉल के तत्कालीन लिपिक अनिल कुमार शर्मा निवासी लंगर के बालाजी गणगौरी बाजार तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कृष्ण गोपाल निवासी जगदम्बा नगर, हीरापुरा पावर हाउस के पीछे के खिलाफ दर्ज की है। घोटाले को लेकर राजस्थान पत्रिका में 17 जुलाई 2015 को टिकटों में हेराफेरी, 50 लाख का घोटाला खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद एसीबी ने पड़ताल शुरू की थी। इसमें सामने आया कि पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक ने टिकट मशीनों में गड़बड़ी मामले में चार विभागीय समितियों का गठन किया था, जिनमें भी लाखों का घोटाला उजागर हुआ था। जांच रिपोर्टों में बताया कि मशीन की तकनीकी व मशीन की प्रोग्राङ्क्षमग सिस्टम में छेड़छाड़ कर गबन किया गया। गबन टिकट काटने वाले कर्मचारियों ने किया।
बुकिंग मशीन के प्रोग्रामिंग में फेरबदल

टिकटों के स्टॉक रजिस्टर में भी अनियमितता पाई। विभागीय जांच समिति ने बुकिंग मशीन के प्रोग्रामिंग में फेरबदल कर गबन करने के लिए मनीष माथुर, संदीप ऐरन एवं कृष्ण गोपाल को जिम्मेदार माना था। जांच में सामने आया कि आरोपी कर्मचारियों ने बुकिंग मशीन की प्रोग्रामिंग में फेरबदल कर एक विशेष श्रेणी के टिकट क्रमांक की राशि का योग नहीं जोडा़। इससे उन्होंने 67 लाख 40 हजार 380 रुपए हड़पे। साथ ही छपे हुए टिकटों की काउन्टर फाइल (1.4.2012 से 14.7.2014 तक) के स्थान पर समान सीरिज नम्बर व बिना सीरिज नम्बर के टिकट
बनाकर पर्यटकों से 6 लाख 97 हजार 500 रुपए की वसूली की। एक ही दिन में कई बार टिकटों का सीरियल नम्बर बदला था।
केन्द्रीय अधीक्षक से मिलीभगत
एसीबी ने माना कि आरोपी कर्मचारियों ने केन्द्रीय अधीक्षक से मिलीभगत कर यह गड़बड़ी की। इन कर्मचारियों ने टिकट मशीन में काम आने वाली चाबी अपने पास रखी तथा मशीन में निर्धारित प्रोग्राम (सैङ्क्षटग) में फेरबदल किया। इससे टिकटों से होने वाली आय को मिलीभगत कर हड़प लिया।

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