छोटी चौपड़ पर शाम 7 बजे बड़ के पेड़ के पास साइकिल खड़ी थी और खूटेटों का रास्ता निवासी ओमप्रकाश सांखला और राजू रोजाना की तरह फूलों की पैकिंग कर रहे थे। ओमप्रकाश ने बताया कि मोगरे के फूल टोंक से आते हैं। 16 साल पहले की याद ताजा करते हुए कहते हैं कि वह फूलों की पैकिंग कर रहे थे। इसी दौरान उनके परिचित ने बताया कि बड़ी चौपड़ पर विस्फोट हो गया है तो उन्होंने कहा कि आतिशबाजी की हवाइयां छूट रही होंगी। वह ये सब बात कर ही रहे थे कि साइकिल में विस्फोट हुआ।
विस्फोट होते ही बड़ के पेड़ में आग लग गई और आस-पास बैठे लोगों के शरीर में छरें घुस गए। कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए। छर्रे उनके सीने में लगे। उन्हें आस-पास के लोग एसएमएस अस्पताल ले गए। आज भी पटाखा चलता है तो वह सिहर उठते हैं। गंगापोल निवासी राजू मेहरा ने बताया कि वह फूलों की पैकिंग कर रहे थे, तभी छर्रा आकर लगा। तेज धमाके के साथ विस्फोट हो गया। एक बार तो लगा ट्रांसफार्मर फट गया। लेकिन चीखने-चिल्लाने की आवाज आनी शुरू हो गई, तब पता चला कि धमाका हुआ है।
पाटीदार को सौंपी किशोर न्याय बोर्ड की जिम्मेदारी
बम विस्फोट मामले में नाबालिग आरोपी के संबंध में सुनवाई कर रहे किशोर न्याय बोर्ड (जयपुर महानगर-प्रथम) में चन्द्र प्रकाश पाटीदार को प्रधान मजिस्ट्रेट लगाया गया है। पिछले सप्ताह बोर्ड में प्रधान मजिस्ट्रेट नहीं होने का मामला सुप्रीम कोर्ट में नाबालिग से संबंधित प्रकरण की सुनवाई के दौरान उठा, जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस पद पर मजिस्ट्रेट की नियुक्ति कर दी। अब जल्द ही नाबालिग से संबंधित-मामले की ट्रायल आगे बढ़ सकेगी। हालांकि यहां सुनवाई हफ्ते में चार दिन ही होती है।
शाम 7 बजे का समय, चल रहे थे भजन
छोटी चौपड़ स्थित फूलों का खंदा में संतों के मंदिर में रविवार को भजन का कार्यक्रम चल रहा था। ब्रह्मपुरी निवासी महेश दास ने बताया कि 13 मई, 2008 को वह भजन गा रहे थे। तभी छर्रा आया और पानी की बोतल पर लगा। इससे पानी की बोतल फूट गई और पानी फैल गया। महेश दास ने बताया कि छर्रे बड़ के पेड़ पर लगे और दो तीन छर्रे महर्षि नवल साहब की फोटो पर लग गए। तेज धमाके के साथ आग की लपटें उठ रही थीं और गाड़ियां उछलती हुई दिखीं। एक छर्रा उनकी बांह पर आकर लगा।
पसलियों में लगा छर्रा
खजाने वालों का रास्ता निवासी नरेश सैनी ने बताया कि वह फूल बेचने का काम करते हैं। 13 मई, 2008 को वह दुकान पर बैठे थे। तभी तेज धमाका हुआ। बड़ के पेड़ में आग लगने के साथ ही गाडियां उछलकर दूर गिर गई। छर्रा और पत्तनी उनकी पसलियों में आकर लगी।
गन्ने की मशीन में आई अंगुली, बची जान
मिनर्वा सिनेमा के पीछे रहने वाले राजकिशोर ने बताया कि वह गन्ना पेरने वाली मशीन पर काम कर रहे थे। अचानक अंगुली मशीन में आ गई। वह अस्पताल चले गए। तभी विस्फोट हो गया और उनकी जान बच गई।