जानिए तीज उपवास को लेकर क्यों महिलाएं हैं असमंजस में, पढि़ए दो अलग अलग दिनों में तीज उपवास के महत्व को
त्यौहार का नाम पोला क्यों पड़ा
विष्णु भगवान (Lord vishnu) जब कान्हा के रूप में धरती में आये थे, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna janmashtami) के रूप मे मनाया जाता है, तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे। कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहाँ रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था। एक बार कंस ने पोलासुर (Polasur) नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था, और सबको अचंभित कर दिया था। वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा। इसके पीछे एक और कहानी प्रचलित है जिसमें किसान अपने खेती किसानी के सारे काम खत्म कर अन्नमाता को आराम देते हैं। अन्नमाता इस दिन गर्भधारण करती है।
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पोला त्यौहार का महत्व
भारत जहां कृषि आय का मुख्य स्रोत है और ज्यादातर किसानों की खेती के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए किसान पशुओं की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए इस त्योहार को मनाते है। छत्तीसगढ़ बहुत सी आदिवासी जाति एवं जनजाति रहती है। यहाँ के गाँव में पोला के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है। यहाँ सही के बैल की जगह लकड़ी एवं लोहे के बैल की पूजा की जाती है, बैल के अलावा यहाँ लकड़ी, पीतल के घोड़े की भी पूजा की जाती है।