डॉक्टर्स डे पर पत्रिका ऐसे ही लोगों की कहानियां सामने रखने जा रहा है जिसने यहां की समस्याओं को दूर करने की ठानी और इस दिशा में लंबे समय से कार्य कर रहे हैं। इसमें कुछ लोग तो ऐसे हैं जिनके पिता ने भी यहीं डॉक्टर के रूप में सेवा दी थी और अब वे उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हुए यहीं सेवा दे रहे हैं।
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National Doctor’s Day 2024: गरीबों की मदद के बाद पिता को मिलता प्यार देख तय किया डॉक्टर बनना है
परिवार में पिता विरेंद्र ठाकुर और चाचा विजय ठाकुर डॉक्टर के रूप में शहर में लंबे समय से सेवा दे रहे हैं। ऐसे में उन्हें देखकर हम दोनो बहनों की भी इच्छा डॉक्टर बनने की ही थी। बचपन से ही कई बार ऐसी स्थिति देखने को मिली की ग्रामीण इलाज के लिए पिता के पास आते थे। बेहद गरीब होने की वजह से जब पिता फीस नहीं लेते तो ग्रामीण किसी भगवान की तरह सम्मान देते थे। यह देखकर ही तय कर लिया था कि डॉक्टर बनना है और बस्तर के लोगों की सेवा करनी है। यहां काम करते हुए पांच वर्ष से अधिक हो गया। इस बीच कई जगह से नौकरी का ऑफर आया लेकिन यहां सेवा करने की जो संतुष्टि है उससे दूर नहीं जाना चाहती। यही वजह है कि अब यहीं काम कर रही हूं।
बेटी – वंजा ठाकुर, एमडी मेडिसीन, मेकाज
National Doctor’s Day 2024: डॉक्टर पिता ने कहा- बस्तर की मिट्टी का कर्ज अदा करना है वापस आ जाओ
बस्तर में शिशु रोग विशेषज्ञ जेडी दुल्हानी सालों से बस्तर में अपनी सेवा दे रहे हैं। वे आज भी इसमें लगे हुए हैं। उनके पुत्र डॉ. नवीन दुल्हानी को एमबीबीएस और एमडी मेडिसीन की पढ़ाई पास करने बाद 2003 से 2006 तक दिल्ली में जीटीबी और अपोलो जैसे अस्पताल में सेवा देने के बाद एक दिन पिता का फोन आया। पढ़ाई हो गई पूरी और बाहर घुमने का शौक पुरा हो गया हो तो अब बस्तर वापस आ जाओ। वहां क्या करूंगा पूछने पर पिता ने कहा कि यहां की मिट्टी ने इतना काबिल बनाया है उनका हम पर कर्ज है अब उस कर्ज को पूरा करने के लिए यहां सेवा देनी होगी। पिता की इस बात ने अंदर तक झकझोर कर रख दिया। इसके बाद तुरंत बस्तर पहुंचा और इसके बाद यहां सेवा देने के बाद वाकई समझ आ गया कि पिता सहीं कह रहे थे। यहां के लोगों की सेवा करने से बेहतर कोई काम नहीं है।
![National Doctor's Day 2024](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/d-3.jpg?w=640)
बेटा – डॉ. नवीन दुल्हानी, एचओडी, मेडिकल कॉलेज मेडिसीन विभाग
National Doctor’s Day 2024: बस्तर ने सब कुछ दिया, अब इसे छोडक़र कैसे चले जाऊं
परिवार लंबे समय से यहां रह रहा है। बस्तर ने परिवार को सब कुछ दिया है। ऐसे में परिवार के लोग हमेशा से कहते थे कि जिंदगी में कुछ भी करों लेकिन यहां के लोगों की सेवा जरूर करनी है। इसी बीच कड़ी मेहनत से डॉक्टरी की पढाई की और इसे पास कर लिया। जिसके बाद यहां पोस्टिंग हुई। नौकरी मिलने के बाद से गांव के लोगों की सेवा करने के करने का भी मौका मिला। यहां ग्रामीण इलाके में काम करने में अलग ही संतुष्टि मिलती है। एक समय शादी के बाद ऐसा लगा कि बस्तर छुट जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पति से अपने बस्तर प्रेम के बारे में बताया तो उन्होंने भी इस बात का समझा और वे भी यही आ गए। डॉक्टर होने की वजह से पति डॉ. शमीम शौकत 2019 मेडिकल कॉलेज में और वे ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवा दे रहे हैं।
![National Doctor's Day 2024](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/07/d-1.jpg?w=640)
पत्नी – डॉ. इश्वा फातिमा, आयुष मेडिकल ऑफिसर
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