International Day of Older Persons 2024: बेटी विदेश में, बुजुर्ग डॉक्टर के पड़ोसी बने परिवार, रखते हैं पिता जैसा ख्याल
International Day of Older Persons 2024: अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर विशेष: छत्तीसगढ़ की एक ऐसी कहानी है, जहां एक बुजुर्ग जिंदादिली से अपनी जिंदगी जीते हैं।
International Day of Older Persons 2024: शेख तैय्यब ताहिर/आज की भागदौड़ और आधुनिक जिंदगी में लोग कभी नौकरी तो कभी शादी के लिए परिवार को छोड़ हजारों किमी दूर रहना पड़ता है। ऐसे में पालक उस वक्त अकेले पड़ जाते हैं जब उन्हें सबसे ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। यानी बुजुर्ग अवस्था में।
International Day of Older Persons 2024: कहानी बस्तर की
इस उम्र में अकेलेपन की वजह से बुजुर्गों की जीवन प्रत्याशा भी कम होने लगती है। लेकिन ऐसे मौके पर यदि उनका परिवार बनकर आस-पड़ोस के लोग आ जाएं तो फिर वहीं बुजुर्ग जिंदादिली से अपनी जिंदगी जीते हैं। ऐसी ही एक कहानी बस्तर की है।
डॉ. मोहन राव की इकलौती पुत्री पांच वर्षो से स्कॉटलैंड में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। (International Day of Older Persons 2024) 65 वर्षीय मोहन राव पेशे से डॉक्टर हैं। लेकिन उनके क्लिनिक के आस-पास के लोग और उनके मरीज किसी भी परिवार से कम नहीं है। सोहेल रजा बताते हैं वह उनके पिता समान हैं। बचपन से वे उनका इलाज कर रहे हैं। इसलिए अब इस उम्र में जब वे अकेले हैं तो वे उनका खास ख्याल रखते हैं।
दरअसल इस लोकप्रियता में बड़ा हाथ उनका उनकी प्रैक्टिस का है। आज के दौर में भी जहां निजी क्लीनिकों में 500 से 1000 रुपए डॉक्टरों की फीस है। वहीं डॉ. मोहन राव की फीस 50 रुपए है। इसलिए उनके पास गरीब तबके के लोग सबसे ज्यादा आते हैं। वे उनका ख्याल भी खास तरीके से रखते हैं। इनके यहां अधिकतर परिवार तो फीस ही नहीं देते।
गरीब तबके के लिए वे फीस की मांग भी नहीं करते। (International Day of Older Persons 2024) इसके अलावा कई बार दवा व अन्य सेवाएं भी मुफ्त में दे देते हैं। इसलिए जो एक बार इलाज के लिए पहुंचा वह परिवार बन गया। मरीज के परिजन भी उन्हें भगवान की तरह मानते हैं और उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
परिवार का एक नियम, साल में दो बार वे जाते हैं, एक बार बेटी आती है
International Day of Older Persons 2024: डॉ. मोहन राव ने परिवार के लिए एक नियम बनाकर रखा है। साल में दो बार वे स्कॉटलैंड बेटी के पास जाते हैं और एक बार बेटी उनसे मिलने जगदलपुर आती है। यह परम्परा सालों से चली आ रही है।
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