पीएचई की ओर से हर साल भूमिगत जल स्तर की रिपोर्ट तैयार की जाती है। इस साल अप्रैल माह के ताजा आंकड़ों के मुताबिक जिले के बस्तर, लोहण्डीगुड़ा और बस्तर ब्लाक में जल स्तर में सर्वाधिक गिरावट आई है। आंकड़ों के मुताबिक बस्तर ब्लाक में 23.65, तोकापाल ब्लाक में 23.80 और लोहाण्डीगुड़ा ब्लाक में 22.25 मीटर तक जल स्तर पहुंच चुका है, जबकि जगदलपुर ब्लाक में 16 मीटर, बकावंड ब्लाक में 18.10 मीटर, बास्तानार ब्लाक में 22.50 और दरभा में 21.10 मीटर भू-जल स्तर पाया गया है। यदि सभी ब्लाकों की औसतन भू-जल स्तर में गिरावट की जाए तो 21.06 मीटर रिकार्ड किया गया है।
इस साल बारिश कम होने से औसत बारिश 42.3 इंच की तुलना में जिले में इस बार केवल 29.2 इंच बारिश हुई है, जो पिछले साल हुई औसत बारिश 32.3 इंच से 3.1 इंच कम है। जबकि 30 ङ्क्षसतबर तक जिले में पिछले साल हुई 29.4 इंच बारिश का आंकड़ा भी इस साल पूरा नहीं हो पाया है। मानसून की बेरुखी के चलते जिले के बांध इस बार आधे भी नहीं भर पाए हैं, जिससे ङ्क्षसचाई और बोरबेल के जरिए पीने के पानी पर आश्रित लोगों को परेशानी का सामान करना पड़ सकता है।
पिछले कुछ सालों की अपेक्षा पर्यावरण के साथ खिलवाड़ ज्यादा किया जा रहा है। कैंचमेंट एरिया और ग्रीन वेल्ट क्षेत्र में अवैध रूप से निर्माण किए जा रहे हैं। इस कारण नदियों और तालाबों का जल स्तर भी लगातार कम होता जा रहा है। भूमिगत जल का भंडारण जल स्त्रोतों पर भी निर्भर करता है। दूसरा कारण यह है कि सीमेंटीकरण में तेजी आना है, बारिश का पानी भूमिगत होने के बजाए पक्की नालियों के द्वारा नदी में समा जाता है, जिससे भूमि में जल का संचय नहीं होता है। नगर के लगभग सभी हैण्डपंप सूख चुके हैं। दूसरी ओर वनों की कटाई भी की जा रही है। यह दोनों ही गिरते भूजल स्तर के बड़े कारण है। वर्षा जल के संरक्षण के लिए रैन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग, खेत तालाब, चैकडेम, मेढबंधान के साथ कई योजनाएं संचालित हैं, लेकिन योजनाओं पर सही तरीके से काम न होने के कारण बारिश का पानी हर साल बह जा रहा है। इससे भी भूजल का स्तर गिर रहा है।
तीन वर्षों का अप्रैल माह में भूजल स्तर
वर्ष 2020 में 19 .65 मीटर
2021 में 20.34 मीटर
2022 में 21.06 मीटर वर्तमान में ब्लॉक भूजल स्तर (मीटर में)
जगदलपुर 16.00
बस्तर 23.65
बकावंड 18.10
तोकापाल 23.80
बास्तानार 22.50
दरभा 21.10
लोहण्डीगुड़ा 22.25
औसतन कुल योग- 21.06