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2008 के चुनाव की तुलना में एक तो 2013 के चुनाव की तुलना में दो दिन पहले नतीजे आ रहे हैं। 2003 में वोटिंग के महज दो दिन के भीतर परिणाम आ गए थे, लेकिन 2008 में 16, 2013 में 17 और 2018 में पूरे 20 दिन तक नतीजों का इंतजार करना पड़ा था। 3 दिसंबर को दोपहर बाद सभी विधानसभा के नतीजे आ जाएंगे। पहले चरण में 20 तो 17 नवंबर को राज्य के 70 सीटों में चुनाव हुए। ईवीएम में प्रत्याशियों का भाग्य बंद हो गया है। स्ट्रांग रूम में बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट को सील कर दिया।
शुक्रवार को दूसरे चरण यकी वोटिंग प्रतिशत सामने आने के साथ ही इस बात की चर्चा सबसे ज्यादा रही कि कौन जीत-हार रहा है? चुनाव के बीच ही लोग अपने-अपने आंकलन व अटकलों के आधार पर प्रत्याशियों को हराने और जिताने में लगे थे। शाम पांच बजे वोटिंग खत्म होने तक इस चर्चा ने और जोर पकड़ लिया और अब ये चर्चा और तेज हो गई है। बस्तर में पहले चरण का मतदान होने के बाद से यह हालात बने हुए हैं। हर चौराहे पर अभी यह चर्चा आम है कि आखिर कौन जीत रहा है।
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बस्तर ने पिछली बार 28 दिन इंतजार किया इस बार 25पहले चरण में 7 नवंबर को बस्तर संभाग की 12 सीटों और दुर्ग संभाग की आठ सीटों पर मतदान हुआ। यहां कड़ी सुरक्षा के बीच 74 फीसदी वोटिंग हुई थी। छत्तीसगढ़ की सभी 90 सीटों के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित होंगे। यानी 20 सीटों के प्रत्याशियों और वोटरों को 25 दिन इंतजार करना होगा। पिछली बार पहले चरण में 18 सीटों पर चुनाव हुए थे और 28 दिन इंतजार करना पड़ा था। इस बार इंतजार के दिन तीन दिन कम हुए हैं।
जहां जाओ बस नतीजों की ही चर्चा हो रही वोटिंग के बाद से जहां जाओ वहां नतीजों की ही चर्चा हो रही है। पहले बस्तर की 12 सीटों पर बात हो रही थी अब तो 90 सीटों का आंकलन शुरू हो चुका है। अब बस सभी लोग 3 दिसंबर को नतीजे का इंतजार कर रहे हैं।
– उत्तम साहू, शहरवासी वोटिंग पूरी होते ही अब असल आंकलन शुरूदोनों चरणों की वोटिंग पूरी होने के बाद असल आंकलन शुरू हो चुका है। हमारे जैसे सभी वोटर नई सरकार को लेकर उत्साहित हैं। कौन जीतेगा और किसकी सरकार बनेगी यह सवाल अभी सभी के मन है। बस 3 दिसंबर का इंतजार है।
– शंकर श्रीवास, शहरवासी