भाजपा के बस्तर चिंतन शिविर को लेकर भले ही यह कहा जाता हो कि इसमें पूरे प्रदेश की आगामी रणनीति तैयार हो रही है, मगर इसका बड़ा मकसद बस्तर गढ़ को पुन: वापस पाना है। यही वजह है कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने अपने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को बस्तर भेजा है। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नबीन को आदिवासी नेताओं की बातें सुनने, समझने और इन्हें संगठित कर एक मंच पर लाने जिम्मेदारी सौंपी है। भाजपा का लक्ष्य 2023 के चुनाव में 12 में से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का है।
बस्तर में अभी तो भाजपा का खाता तक नहीं खुला है। उधर, ‘पत्रिका’ ने इस दौरान कई नेताओं से बात की। इन्होंने कहा कि साउंड प्रूफ बंद कमरे में पौने तीन साल में पहली बार इस प्रकार खुलकर अपनी बात रख पा रहे हैं। गौरतलब है कि भाजपा ने 2003 में बस्तर से ही अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी, सत्ता में आई थी। संभव है कि आने वाले कुछ दिनों में पार्टी में संगठनात्मक तौर पर बड़े फेर-बदल भी दिखें। उधर, आगामी 1 साल की कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है।