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जगदलपुर

Admission 2023: सैनिक स्कूल और नवोदय विद्यालय में प्रवेश लेने बस्तर के छात्रों की संख्या 98 फीसदी हुई कम

Admission 2023: बीते साल की तुलना में इस सत्र में इन मानक शिक्षण संस्थान में प्रवेश पाने के लिए बस्तर के आदिवासी इलाकों से छात्रों ने न के बराबर रुचि दिखाई है। एक अनुमान के मुताबिक सत्र 2022 की तुलना में इस साल इन प्रवेशार्थियों की संख्या में 98 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा रही है।

जगदलपुरJan 23, 2023 / 01:12 pm

CG Desk

Admission 2023:

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Admission 2023: आदिवासी बाहुल्य बस्तर में स्तरीय शिक्षण संस्थानों की कमी है, जो संस्थान हैं वे भी संसाधन की कमी की वजह से विद्यार्थियों को शिक्षण की बेहतर गतिविधियों से जोड़े रखने के लिए अपर्याप्त हैं। इन विद्यार्थियों को उचित शिक्षण परिवेश दिलाने के लिए शासन ने कई स्कूल खोल रखे हैं जिनमें इन बच्चों का शैक्षणिक स्तर उठाने के लिए सभी जरुरी संसाधन मौजूद हैं वह भी बेहद रियायती दर पर। इनसे जुड़कर वे देश की मुख्यधारा में आसानी से जुड़ सकते हैं। ऐसा ही स्कूल में जवाहर नवोदय(Jawahar Navodaya Vidyalaya) व सैनिक स्कूल(Sainik School) हैं। इन स्कूलों में प्रवेश के लिए एक सामान्य सी परीक्षा प्रक्रिया से विद्यार्थियों को गुजरना होता है। इस साल यह परीक्षा 31 जनवरी को आयोजित होनी है।

अचरज की बात यह है कि बीते साल की तुलना में इस सत्र में इन मानक शिक्षण संस्थान में प्रवेश पाने के लिए बस्तर(Bastar) के आदिवासी इलाकों से छात्रों ने न के बराबर रुचि दिखाई है। एक अनुमान के मुताबिक सत्र 2022 की तुलना में इस साल इन प्रवेशार्थियों(Admission 2023) की संख्या में 98 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा रही है।

इन अवसर से हो रहे वंचित, जरुरत है सरकारी प्रोत्साहन से इन्हें आगे लाएं
ब्लाक 2022 2023
लोहांडीगुड़ा 461 15
बास्तानार 285 02
बस्तर 1048 53
बकावंड 1026 09
जगदलपुर 621 77
तोकापाल 422 40
दरभा 185 13

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नवोदय विद्यालय के लिए भी पिछले वर्ष से कम फॉर्म
पिछले साल नवोदय विद्यालय(Navodaya Vidyalaya) के लिए 4 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों ने फॉर्म भरे थे। उसकी तुलना में इस साल अभी तक सिर्फ 300 लोगों ने फॉर्म भरे हैं । फॉर्म भरने के लिए अब सिर्फ 10 दिन शेष है जो कि 31 जनवरी तक है। इसी प्रकार पिछले साल की तुलना में इस साल सैनिक स्कूल(Sainik School) एग्जाम के लिए भी बहुत ही कम विद्यार्थियों ने फॉर्म भरा था, इसकी परीक्षा 8 जनवरी को हुई। इस साल इन स्कूलों में प्रवेश पाने वाले विद्यार्थी ने बहुत ही कम फॉर्म भर रहे हैं। बच्चों में इन स्कूलों के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए अभिभावकों को सजग व शिक्षित करना जरुरी है।

अभिभावकों में जानकारी का अभाव एक गंभीर मुद्दा है और इस विषय पर विचार करना बहुत जरूरी है। इसे लेकर शासन- प्रशासन व शैक्षणिक विभागों को सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। ऐसे उचित शिक्षण संस्थान की जानकारी अंदरुनी इलाकों तक सही समय पर नहीं पहुंच पाती है जिसकी वजह से बहुत से विद्यार्थी अच्छी पढ़ाई या नौकरी से वंचित रह जाते हैं।

मिलकर करना होगा प्रयास
इस आदिवासी अंचल को अग्रणी बनाने के लिए दो चीजों की जरुरत है। पहली है शिक्षा और दूसरी है बेहतर कैरियर का चुनाव। अगर यहां के बाशिंदों को यह दोनों चीज मिलती है तो प्राकृतिक संसाधन से भरपूर बस्तर भी बहुत तेजी से उन्नति कर सकेगा। इसके लिए सभी लोगों को मिलकर प्रयास करना होगा।

संदीप मोरारका, सेवानिवृत सैन्य अधिकारी व कैरियर काउंसलर
देश के दूरदराज के विद्यार्थियों को समुचित शिक्षण परिवेश से जोड़ने के लिए जवाहर नवोदय व सैनिक स्कूल जैसे शिक्षण संस्थान संचालित हैं। राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, सैनिक स्कूल व जवाहर नवोदय विद्यालय में अध्ययन व हॉस्टल की फीस न के बराबर होती है। इसकी बनिस्बत इन स्कूलों में पढ़ाई और बाकी सुविधाएं बहुत ही शानदार होती हैं। यहां पर शैक्षणिक गतिविधियों के साथ ही कलात्मक, क्रीडात्मक ,सांस्कृतिक व अनुशासनात्मक गतिविधियों में भी छात्र पूरी तरह से पांरगत हो जाते हैं। कम संख्या में छात्र इनमें प्रवेश लेने ये यह साफ जाहिर है कि वे ऐसे अवसर से वंचित रह जा रहे हैं।

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