गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के मलेरिया के कुल मामलों में से 61.99 फीसदी दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर से आते हैं। इन जिलों में स्वास्थ्य विभाग की मलेरिया की रोकथाम के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि बस्तर संभाग में मलेरिया के मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है, लेकिन यह आंकडा ना काफी है। बस्तर को पूर्ण रुप से मलेरिया मुक्त करने का अभियान आज भी कोसों दूर दिखाई पड़ता है।
हालांकि मलेरिया के वार्षिक परजीवी सूचकांक दर के अनुसार, 2018 में छत्तीसगढ़ में मलेरिया की दर 2.63 फीसदी थी, जो 2023 में घटकर 0.99 फीसदी रह गई है। वहीं पर बस्तर संभाग में यह 7.78 फीसदी है, यह प्रदेश में सर्वाधिक मलेरिया के वार्षिक परजीवी सूचकांक हैं। हमेशा से एक कड़ी चुनौती रही है, लेकिन इसके बावजूद हालात तेजी से नहीं बदल रहे हैं। जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने बारिश के मौसम को देखते स्वास्थ्य विभाग को मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए सक्रिय कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इस बारिश के दौरान मलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रयासों को तेज करने कहा है।
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