Bastar Dussehra 2024: पिछले साल चार चक्कों का बनाया गया था फूलरथ
बस्तर के झारउमर गांव और बेड़ाउमर गांव के करीब 150 कारीगर रथ निर्माण करने जुट गए हैं। हालांकि, पिछले साल चार चक्कों का फूलरथ बनाया गया था। खास बात यह है कि बस्तर दशहरे के लिए जो रथ बनाया जा रहा है, इसमें कारीगर किसी आधुनिक औजारों का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि पारंपरिक औजार जैसे कुल्हाड़ी, टंगिया समेत अन्य का इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा महोत्सव की पहली रस्म पाट जात्रा विधान रविवार को हुई। इस रस्म के लिए बिलोरी गांव से साल के तने को जगदलपुर लाया गया। इसे राजमहल की ड्योढ़ी के सामने रखकर पूजा विधान किया गया। इस साल दशहरा की सबसे खास बात यह है कि इसकी पूरी रस्म जो 75 दिन में पूरी होती थी। इस साल यह 77 दिन में पूरी होंगी।
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जगन्नाथ पुरी से वरदान में मिले 16 चक्कों के रथ
Bastar Dussehra 2024: दंतेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी कृष्ण कुमार पाढ़ी ने बताया कि मावली माता की डोली मंगलवार और शनिवार को जगदलपुर से विदा होती है। लेकिन इस साल कुटुंब जात्रा विधान बुधवार को पड़ रहा है। इसलिए गुरुवार को माता को विदाई नहीं की जाएगी। बुधवार और शनिवार के बीच में दो दिन का अंतराल होने से यह पर्व 77 दिन चलेगा। वर्ष 1408 में काकतीय शासक पुरुषोत्तम देव को ओडिशा के जगन्नाथपुरी में रथपति की उपाधि दी गई थी। यहा से उन्हें 16 पहियों वाला एक विशाल रथ भेंट किया गया था। राजा पुरुषोत्तम देव ने जगन्नाथ पुरी से वरदान में मिले 16 चक्कों के रथ को चार चक्कों और 12 चक्कों वाले रथ में बांट दिया था।