जगदलपुर

छह साल बाद आज फिर खुली कंप्यूटर खरीदी घोटाले की फाइल

2016 में विश्वविद्यालय ने खरीदे थे 65 कंप्यूटर। फर्म को नहीं किया था भुगतान। राज्यपाल से की थी शिकायत, राज्यपाल की पहल पर दो सदस्यीय टीम कर रही जांच

जगदलपुरMay 02, 2022 / 12:09 am

Ajay Shrivastav

2016 में विश्वविद्यालय ने खरीदे थे 65 कंप्यूटर। फर्म को नहीं किया था भुगतान।

अजय श्रीवास्तव। शहीद महेंद्र कर्मा विश्व विद्यालय में 2016 में 65 कंप्यूटर सेट खरीदे गए थे। इस खरीदी के बाद संबंधित फर्म का करीब साढ़े 26 लाख रुपए का भुगतान विश्वविद्यालय को किया जाना था। कमीशन खोरी के चलते तत्कालीन प्रबंधन ने फर्म को फूटी कौड़ी भी नहीं दी। इसके बाद जब पत्रिका ने मामला उजागर किया था तो। अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत करते हुए दस्तावेजों में कूट रचना, आरोपों को संविदा कर्मचारियों पर मढ़ना, कंप्यूटर की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए भुगतान रोक दिया गया था। आज भी ये 65 कंप्यूटर विश्व विद्यालय में रखे हुए हैं। इस लेट लत्तीफी की शिकायत राज्यपाल तक पहुंची तब जाकर इसकी जांच फिर से शुरु हुई है।
अब इस मामले में राज्यपाल अनुसुइया उइके की अनुशंसा पर दो सदस्यीय जांच दल विश्व विद्यालय पहुंचा है। इस जांच दल में हेमचंद विश्व विधालय की कुलपति प्रो अरुणा पलटा और अटल बिहारी विश्व विद्यालय के कुलपति एडीएन वाजपेई शामिल हैं।
ऐसे समझें पूरे तथ्यों को तिथिवार

16 मार्च 2016 बस्तर विश्वविद्यालय ने 65 कंप्यूटर खरीदी का क्रय आदेश एचसीएल इंफोसिस्टम नई दिल्ली के नाम जारी किया जिसमें छत्तीसगढ़ के अधिकृत विक्रेता के माध्यम से कंप्यूटर प्रदाय करने कहा गया था(
30 मार्च 2016 एचपीसीएल इंफोसिस्टम ने पत्र भेजकर साइबर् नेट सिस्टम रायपुर को अपना अधिकृत विक्रेता बताया। उसी के जरिए यह सिस्टम सप्लाई किया नाना था।

27अप्रैल 2016 रायपुर की साइबर नेट सिस्टम में 65 कंप्यूटर सप्लाई किए। प्रति नग कंप्यूटर की दर ₹38500 के अनुसार 5% वैट सहित कुल 26 लाख 27 हजार 600 का देयक प्रस्तुत किया।
18 मई 2016 कंप्यूटर टैली रिपोर्ट विश्वविद्यालय को सौंपी गई। इसे प्राप्त करने की जिम्मेदारी मौखिक तौर पर संविदा कर्मचारियों को दे दी गई थी। जबकि पहले इसका भौतिक सत्यापन सक्षम के द्वारा किया जाना था।
31 जून 2016 कुलसचिव एसपी तिवारी ने कंप्यूटरों का पुनरीक्षण कन्या पॉलिटेक्निक व पीजी कॉलेज के तकनीकी विशेषज्ञों से करवाया जिन्होंने सब कुछ ठीक पाया।

10 जुलाई 2016 को तिवारी ने थाना प्रभारी कोतवाली जगदलपुर को फर्म के संचालक के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया।
23 जुलाई 2016 कंप्यूटर खरीदी में गड़बड़ी की शिकायत की जांच में थाना प्रभारी ने आरोपों को झूठा पाया।

22 सितंबर 2016 बस्तर विश्वविद्यालय में धारा 52 के आरोप लगाकर प्रो एनडीआर चंद्रा कुलपति के पद से हटाया गया। बस्तर कमिश्नर दिलीप वासनिक को प्रभारी कुलपति बनाया गया।
15 जनवरी 2017 तत्कालीन अपर कलेक्टर हीरालाल नायक को बस्तर विश्वविद्यालय का प्रभारी कुलसचिव नियुक्त किया गया।

16 जून 2017 साइबर नेट सिस्टम के संचालक ने लोक आयोग में शिकायत दर्ज कराई।

6 जुलाई 2017 बस्तर विश्वविद्यालय के अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर कंप्यूटर खरीदी के आदेश को निरस्त किया गया।
17 सितंबर 2017 लोक आयोग ने आदेश परित कर इस प्रकरण को स्थापना योग्य माना।

2 मई 22 को राज्यपाल की अनुशंसा पर दो सदस्यीय टीम जांच के लिए विवि पहुंची।

लोक आयोग ने दो कुल सचिव को भ्रष्ट मानते कार्रवाई करने कहा
कंप्यूटर के भुगतान में विलम्ब करने व एक संविदा प्राध्यापक पर आरोप मढ़ने की शिकायत लोक आयोग में भी हुई। यहां सुनवाई के बाद लोक आयोग ने भी माना कि कुलसचिव एस पी तिवारी और तत्कालीन अपर कलेक्टर हीरालाल नायक जो कि प्रभारी कुल सचिव भी थे। उन्होंने अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर भुगतान को रोका है। लोक आयोग ने इन दोनों के विरुद्ध तीन माह के भीतर कारवाई करने कड़े निर्देश दिए थे। उसके बावजूद अब तक इन पर कोई कार्रवाई न होना प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। फिलहाल तिवारी और नायक सेवानिवृत हो चुके हैं।
इन बिंदुओं को छिपाएगा विश्व विद्यालय प्रबंधन

कंप्यूटर खरीदी घोटाला में दो कुलपति प्रो एनडीआर चंद्रा और दिलीप वासनीकर के साथ ही साथ दो कुल सचिव एस पी तिवारी और हीरालाल नायक से अहम सुराग मिल सकते हैं। चूंकि इनमें से तीन सेवा निवृत्त हो चुके हैँ व एक अन्य राज्य में निवासरत हैं। इसलिए जांच टीम इनसे चर्चा करने असफल रह सकती हैं। इस मामले में पूर्व उप कुल सचिव शैलेंद्र पटेल पर भी नोट शीट व कुछ अहम दस्तावेजों में कूट रचना के आरोप हैं। लोक आयोग के संज्ञान में इसे लाया गया था। वे भी बाहर पदस्थ हैं। तत्कालीन वित्त अधिकारी अनिल तिर्की ने भी लोक आयोग को दिए दस्तावेजों में देयक बिल पर दिए टीप को जांच टीम से बचाया जा सकता है। तिर्की भी अन्यत्र चले गए हैं। भंडार गृह लिपिक उदय पांडे ही वर्तमान में विश्व विद्यालय में कार्यरत हैं। इनकी भूमिका पर विवि पर्दा डाल सकता है।

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