मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी
सभी इन्फ्लूएंजा (सर्दी, जुखाम, बुखार, फेफड़ों में जलन) से संबंधित मामलों की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। इसका जिम्मा इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) की जिला सर्विलांस इकाइयों को सौंपा गया है। ऐसे बच्चों की न सिर्फ जांच कराई जाएगी, बल्कि उन्हें सर्विलांस पर भी रखा जाएगा। चिकित्सकों का कहना है कि चीन में बच्चों में फैल रहे इन्फ्लुएंजा से डरने जैसी कोई स्थिति नहीं है। सर्दी, खांसी और बुखार के गंभीर रूप से पीडि़त बच्चों के सैंपल कराए जाएंगे और इनका डेटा रखा जाएगा।
पीडि़त हो रहे बच्चों में ये लक्षण
चिकित्सकों के अनुसार चीन में बीमारी से पीडि़त हो रहे बच्चों में बुखार,डायरिया, उल्टी की समस्या हो रही है। ज्यादातर बच्चों को ठीक होने में तीन से पांच दिन का समय लग रहा है। हालाकि बच्चों को अलग से कोई समस्या नहीं हो रही है।
कोरोना जैसे प्रोटोकॉल
विशेषज्ञों के अनुसार अगर यहां बीमारी फैलती है तो बच्चों को बचाव के लिए कोरोना के ही प्रोटोकॉल अपनाने की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें। हाथों से आंख-कान, नाक को बार-बार छूने से बचें। बच्चों को सर्दी, खांसी, जुकाम होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। निमोनिया होने पर आइसोलेट करके रखें और दवाएं ले, मास्क पहनें।