जबलपुर

राख के ढेर पर खड़ी होगी इमारत की बुनियाद

कचरा जल जाने के बाद निकलने वाली राख से होगी जमीन की फिलिंग

जबलपुरFeb 16, 2019 / 07:49 pm

manoj Verma

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जबलपुर। कचरा जल जाने के बाद बची राख से अब जमीनों की फिलिंग की जाएगी। इस फिलिंग पर बहुमंजिला इमारतों सहित अन्य कॉन्क्रीट के ढांचे खड़े हो सकेंगे या फिर सड़क निर्माण में जमीन को समतल करने में इसका उपयोग किया जा सकेगा। जबलपुर में कठौंदा कचरा प्लांट के किनारे पहाड़ का रूप ले रहे राख के ढेर को लेकर नगर निगम परेशान था। इस राख को ठिकाने सिर्फ इसलिए नहीं लगाया जा रहा था, क्योंकि इससे संक्रमण फैलने का आशंका थी। निगम ने इस राख को जांच के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को दिया, जहां तमाम प्रकार की जांचों के बाद इस राख का इस्तेमाल फिलिंग करने में किए जाने को हरीझंडी दे दी गई है। इसके पहले निगम के इंजीनियर ने प्रायोगिक तौर पर कुछ सैम्पल प्रोडेक्ट बनाए थे। लेकिन, उसे पीसीबी की एनओसी नहीं मिली।
शहर में कचरा प्रबंधन के तहत कठौंदा में यूनिट स्थापित किया गया है। इस यूनिट में शहर भर से आने वाले कचरे को जलाया जाता है। कचरे के जल जाने के बाद इसकी करीब 30-40 प्रतिशत राख बच जाती है। लगातार कचरे के जलाए जाने से राख का ढेर हो गया है। राख की बढ़ती समस्या को देखते हुए इसका इस्तेमाल करने के लिए नगर निगम ने प्रयोग किया और प्रारंभिक चरण में इसका इस्तेमाल ईंट निर्माण, गमले आदि में किया। बेहतर परिणाम सामने आते ही इस राख के इस्तेमाल के लिए पीयूसी से अनुमति मांगी थी।,जिसपर उन्हें फिलिंग के लिए हरी झंडी दे दी गई है।
दो प्रकार की होती है राख
कठौंदा प्लांट में कचरा जलाने के दौरान दो प्रकार की राख निकल रही है। इसमें बॉटम एेश और फ्लाईं एेश बचती है। शेष धुआं फिल्टर होकर निकल जाता है। जानकारों का कहना है कि कचरा जलाने के दौरान करीब 30 फीसदी बॉटम एेश और 20 फीसदी फ्लाई एेश बचती है। इस एेश में अंतर होता है। नीचे वाली एेश भारी रहती है, जबकि फ्लाई एेश हल्की और बारीक होती है।
तैयार किए थे गमले
कठौंदा प्लांट में निरीक्षण के दौरान निगमायुक्त ने राख देखकर इसके उपयोग के लिए नगर निगम के इंजीनियर और प्लांट प्रभारी से कहा। राख के इस्तेमाल के लिए पहले प्रयोग किए गए, इसमें इंजीनियर राजेश गुप्ता ने फ्लाई एेश में सीमेंट मिलाकर गमले तैयार किए। इसमें राख और सीमेंट का मिश्रण दस: एक का रखा। प्लास्टिक के गमले का सांचे के रूप में इस्तेमाल किया गया।
बाहर से बुलाए गए कारीगीर
ईंट और गमले निर्माण के लिए बाहर से कारीगीर बुलवाए गए थे। कारीगीरों में पथेरों ने राख, सीमेंट और रेत का मिश्रण तैयार किया और उसे सांचे में डालकर हाथों से चिकनी सरफेस की। मिश्रण के सख्त होते ही उसे सूखने रख दिया गया। इस प्रोडेक्ट को सुखाने के बाद इसकी गुणवत्ता की जांच की गई और उसका प्रायोगिक परीक्षण किया गया।
आइएसबीटी में तैयार हुआ प्रोडेक्ट: आईएसबीटी में इस प्रयोग को किया गया था। यहां जगह होने के साथ शासकीय निर्माण सामग्री के साथ राख मिलाई गई थी। मौके पर इंजीनियर सहित अन्य कर्मचारी मौजूद थे।
पीसीबी को भेजा पत्र
नगर निगम ने कचरे की राख को गंभीरता से लेते हुए उसकी रासायनिक जांच के लिए प्रदूषण विभाग को पत्र भेजा था। इसके साथ ही फ्लाई एेश और बॉटम एेश का सैम्पल भी दिया गया था। ताकि, इसके उपयोग से होने वाली हानि का पता चल सके।
प्लांट में फ्लाई एेश और बॉटम एेश के प्रायोगिक परीक्षण किए गए हैं। कचरे का स्वरूप देखते हुए राख को पीयूसी टेस्टिंग और अनुमति के लिए प्रेषित किया है। इस राख में गड़बड़ी नहीं है, जिसका इस्तेमाल फिलिंग में किया जा सकता है।
कमलेश श्रीवास्तव, प्रभारी, कठौंदा प्लांट
नगर निगम से राख का सेंपल आया था, जिसकी जांच हो गई है। राख का फिलिंग में इस्तेमाल किया जा सकता है।
श्रीनिवास द्विवेदी, क्षेत्रीय प्रबंधक, पीसीबी
 

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