जबलपुर

विदेशियों को भी लुभा रहे शहर के परिधान

परम्परागत ड्रेस बनी चाह, इंडो-वेस्टर्न कल्चर में आया, कारीगीरों को मिला नया काम

जबलपुरFeb 27, 2019 / 10:15 pm

manoj Verma

इंडो-वेस्टर्न कल्चर

जबलपुर। बुटिक की एक छोटी सी पहल महानगरों के बाद विदेश तक पहुंच गई है। शहर के इस बुटिक में तैयार देशी परिधान विदेशी महिलाओं की पसंत बन रहे हैं। अमेरिका की न्यूजर्सी में भारतीय परिधान विदेश में रह रहे भारतीयों सहित वहां की महिलाओं के कल्चर में आ गया है। विदेश में भारतीय लिबास की मांग को देखते हुए संस्कारधानी के कारीगीरों को रोजगार की दिशा में आगे बढऩे का मौका मिल रहा है। बात कर रहे हैं राइट टाउन की बुटिक की, जिसने डेढ़ वर्ष के अंदर अपनी आकर्षक ड्रेस डिजाइन के बल पर विदेशों तक यह कला पहुंचा दी है।
फैशन के इस दौर में साड़ी, गाउन, सलवार सूट आदि पर आकर्षक डिजाइन और रंगों से तैयार करके महिलाओं के बीच ख्याती प्राप्त करने वाली विनीता बड़कुल अब बुटिक के सहारे महिलाओं को उनकी पसंद के लिबास दे रही हैं। इस बुटिक में एेसे भी कपड़ों को रेनोवेट कर दिया जाता है, जो पुराने हो चुके हैं या फिर महिलाओं को उनमें कुछ हटकर नया चाहिए। विनीता का कहना है कि कई एेसी महिलाएं भी हैं, जो हर तीन माह में नया स्टाइल चाहती हैं और कुछ तो अपने पसंदीदा लिबास को दो बार रेनोवेट करवा चुकी हैं।
डिजाइन के शौक से शुरूआत
विनीता कहती हैं कि उन्हें बचपन से ही डिजाइन का शौक था। वे टेलर के पास जाकर अपनी डिजाइन के कपड़े सिलवाती थीं। शादी के बाद भी यही रहा लेकिन एक दिन घर में बैठे-बैठे उन्होंने खुद डिजाइन करने का सोचा और पहले तो घर वालों को अपनी डिजाइन के कपड़े बनाए, जो परिजनों को काफी पसंद आए। बस, वही दिन था जिसने इस दिशा में आगे बढऩे का हौसला दिया। धीरे-धीरे रिश्तेदारों सहित अन्य लोग संपर्क में आते चले गए और विनीता की डिजाइन की पसंद की जाने लगी।
खोला छोटा सा बुटिक
शुरूआती दिनों में घर से बाजू में ही छोटा सा बुटिक शुरू किया, जहां दो कारीगीरों की मदद से डिजाइनदार लहंगे, साड़ी, सलवार सूट आदि बनाने शुरू कर दिए। फैशनेबल डिजाइन लोगों को पसंद आने लगा। महिलाएं अपने पसंद की डिजाइन या फिर बुटिक द्वारा दी गई डिजाइन पर निर्भर हो गई। अब स्थिति यह हो गई कि कारीगीरों की मदद से वे अपने हुनर को तराश रही हैं और जरूरत पडऩे पर महिला कारीगीरों को काम भी दे रही हैं।
महिला कारीगीरों को आगे बढ़ाना मकसद
फैशन के इस दौर में बुटिक खोलने के साथ अब महिला कारीगीरों को आगे बढ़ाने का मकसद है। इसके लिए वे आकर्षक डिजाइन सहित फैशन के गुर भी सिखा रही हैं। कारीगीरों के लिए वे सिलाई आदि का काम बटोर रही हैं ताकि घर से काम करने वाली महिलाओं को सिलाई मिल सके।
इंडो-वेस्टर्न डिजाइन के लिबास बनाए जा रहे हैं। हर तीन माह में हम नई डिजाइन मार्केट में ला रहे हैं।
नीता वर्मा, कारीगर
हमारे द्वारा बनाए जाने वाली डिजाइनें भारत सहित विदेशों में जा रही है। इंडो-वेस्टर्न कोट आदि विदेश जाने से मुझे गर्व महसूस हो रहा है।
शिवानी केसरवानी, कारीगर
पूना, मुंबई, इंदौर आदि के बाद अमेरिका, दुबई से डिजाइजर लिबास की मांग आने लगी है। ड्रेस डिजाइन में उपयोग में नहीं आने वाले लिबास भी रेनोवेट कर रहे हैं। विदेशों में भारतीय परिधान लोकप्रिय हैं। विदेशी महिलाएं इंडो-वेस्टर्न डिजाइन चाह रही हैं। अभी लहंगे भेजे हैं, जो होली उत्सव के मद्देनजर गए हैं।
विनीता बड़कुल, संस्थापक, फैशन बाय विनी

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