हड़ताल कर रहे अधिकारी एफआइआर में गलत प्रक्रिया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। बहरहाल हड़ताल की वजह से राज्य की सभी तहसीलों में कामकाज प्रभावित हो रहा है। लोग अपने काम से कार्यालयों तक पहुंचते हैं, लेकिन ताले लटके देख निराश हो जाते हैं।
राजधानी भोपाल में कलेक्ट्रेट कार्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी तहसील कार्यालय में कामकाज लगभग बंद पड़ गया है। तहसीलदारों की अनुपस्थिति में एसडीएम, राजस्व निरीक्षक एवं पटवारी से वैकल्पिक इंतजाम करवाए जा रहे हैं। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में यही स्थिति है…
ग्वालियर में सिर्फ बाढ़ प्रभावित कर रहे काम
तहसीलों में आम लोगों का काम प्रभावित है। लोग काम के लिए कार्यालय पहुंचते हैं, लेकिन हड़ताल के कारण काम नहीं हो रहा है। इस वजह से नामांतरण सहित राजस्व के अन्य काम बंद हैं। तहसीलदार शत्रुघ्न चौहान ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जनता से जुड़े काम को लेकर हड़ताल पर हैं।जबलपुर में 52 विभागों के काम प्रभावित
हड़ताल से 52 विभागों के काम प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें राजस्व के नामांतरण, बंटवारा, ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र, और नक्शा तरमीम जैसे अहम काम अटके हुए हैं। लोगों को भटकना पड़ रहा है। बाबू पक्षकारों को अगली तारीख दे रहे हैं। जिले में 29 प्रभारी तहसीलदार और नायब तहसीलदार हैं।कटनी में सीमांकन भी नहीं
जिले में न तो जमीनों का सीमांकन हो रहा है और न ही नामांतरण के लिए प्रकरण कार्यालयों तक पहुंच रहे हैं। आलम यह है कि नामांतरण, बंटवारा रिपोर्ट, जाति प्रमाण पत्र, पीएम किसान, सीएम किसान, बैंक बंधक सहित अन्य काम अटके हैं।बुरहानपुर में टल रही सुनवाई
सुनवाई टली जिले की 5 तहसीलों में तहसीलदार, नायब तहसीलदारों और पटवारियों के सामूहिक अवकाश लेने के कारण राजस्व संबंधी कार्य प्रभावित हैं। तहसील न्यायालय में चल रहे जमीनों के प्रकरणों की तारीख आगे बढ़ा दी गई।यहां जानें हड़ताल पर क्यों पटवारी, क्यों कर रहे प्रदर्शन
दरअसल जबलपुर की विजयनगर पुलिस ने तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे को घर से गिरफ्तार करके जेल भेजा है। हरि सिंह धुर्वे पर आरोप है कि उन्होंने अधारताल तहसील में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर की फर्जी वसीयत के आधार पर जमीन का गलत ढंग से ट्रांसफर किया। गौरतलब है कि जबलपुर के रैगवा गांव में महावीर पांडे के नाम पर एक हेक्टेयर जमीन थी। महावीर पांडे की मौत के बाद यह जमीन उनके पुत्र शिवचरण पांडे के नाम पर दर्ज होनी थी, लेकिन अधारताल तहसील में पदस्थ कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे ने इस जमीन को एक फर्जी वसीयत बनाकर अपने पिता श्याम नारायण दुबे के नाम पर ट्रांसफर करवा लिया।
इसके बाद यह जमीन दीपा दुबे और उनके भाइयों के पास आ गई। इसे इन लोगों ने मिलकर बेचने की कोशिश की, लेकिन इस बीच शिवचरण पांडे ने मामले में धोखाधड़ी की शिकायत की। मामले की जांच में हरि सिंह धुर्वे और पटवारी जोगेंद्र पिपरी की भूमिका संदिग्ध पाई गई। इसलिए पुलिस ने तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे को घर से गिरफ्तार किया और फिर जेल भेज दिया।
हरि सिंह धुर्वे की गिरफ्तारी के विरोध में जबलपुर जिले के तहसीलदार और नायब तहसीलदार हड़ताल पर उतर गए। इनकी मांग है कि जब तक हरि सिंह धुर्वे के खिलाफ दर्ज एफआईआर खत्म नहीं की जाती, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।