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जबलपुर

तकनीक से बदली तस्वीर, इलाज आसान-क्राइम कंट्रोल में

जबलपुर शहर के तमाम संस्थान कनेक्ट

जबलपुरFeb 28, 2020 / 07:51 pm

shyam bihari

crime news

 

जबलपुर। साइंस टेक्नोलॉजी में नित नए अपग्रेडेशन से जबलपुर शहर में इलाज आसान हुआ है। टेलीमेडिसिन से अस्पताल जुड़ रहे हैं। अत्याधुनिक इम्पलांट का नर्माण हो रहा है। साथ ही क्राइम कंट्रोल में भी यह फायदेमंद साबित हो रहा है। शहर में साइंस टेक्नोलॉजी से आम लोगों का भी काम आसान हुआ है। नोवेल कोरोना वायरस की दहशत के बीच जबलपुर मेडिकल कॉलेज ने टेलीमेडिसन के जरिए देश के 25 से ज्यादा कॉलेजों को जोड़कर जागरुकता कार्यक्रम किया। टेलीमेडिसन के माध्यम से सर्जरी हो या कोई गम्भीर समस्या, डॉक्टर्स आपस में एक दूसरे से कनेक्ट हो रहे हैं। टेलीमेडिसन के जरिए आसपास के जिला अस्पताल जल्द ही मेडिकल कॉलेज से जुड़ जाएंगे। अभी जिला अस्पताल में हार्ट, किडनी, कैंसर जैसी जटिल बीमारी से पीडि़त आने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज या शहर रेफर कर दिया जाता है। मेडिकल कॉलेज में टेलीमेडिसन विभाग के प्रमुख डॉ. विकेश अग्रवाल के अनुसार इस तकनीक से मेडिकल कॉलेज में बैठे-बैठे ही विशेषज्ञ चिकित्सक जिला अस्पताल के मरीज की जानकारी ले सकेंगे। उचित परामर्श एवं जांच के लिए टेली कंसल्टेशन दे सकेंगे।
कैमरे में हो रहे कैद
शहर में सिटी सर्विलांस योजना के अंतर्गत 125 चौराहे पर और आईटीएमएस योजना के तहत 20 चौराहों को अत्याधुनिक कैमरे, पीए सिस्टम से लैस किया गया है। कैमरों की मदद से जहां शहर में लगने वाले जाम लगने पर त्वरित कार्रवाई की जाती है। वहीं एक्सीडेंट, चोरी, लूट के भी कई प्रकरणों का खुलासा हो चुका है। ट्रैफिक पुलिस ने आईटीएमएस के माध्यम से एक वर्ष में 1.80 लाख वाहनों का ट्रैफिक रूल तोडऩे का चालान बनाते हुए पांच करोड़ का जुर्माना किया है। हाईकोर्ट की सुरक्षा के लिए 150 हाईटेक कैमरे लगाए जा रहे हैं। इसमें 10 फेस रिकग्निशन (चेहरे की पहचान करने वाले) और इतने ही एएनपीआर (वाहनों के नम्बर प्लेट पढऩे वाले) कैमरे हैं। हाईकोर्ट परिसर में रात में कहीं भी 10 से अधिक लोग एकत्र दिखने पर, या धूम्रपान करने पर तुरंत अलर्ट वाला सायरन बज उठेगा। परिसर में 230 कैमरे पहले से लगे हैं। ये कैमरे 360 डिग्री वाले होंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से निगरानी
पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर समेत चार स्टेशनों पर उन्नत इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) आधारित एडवांस वीडियो निगरानी प्रणाली (वीएसएस) संचालित की जा रही है। इसके जरिए स्टेशन पहुंचने वाले हर एक यात्री की आसानी से निगरानी हो रही है। यदि कोई संदिग्ध बार-बार प्लेटफॉर्म पर नजर आता है, तो उसकी पहचान भी आर्टिफिशीयल इंटीलीजेंस कर रहा है। रेलटेल की ओर से सभी रेलवे स्टेशनों, प्रीमियम और ईएमयू कोचों पर वीडियो एनालिटिक्स और फेसियल रिकग्निशन प्रणाली के साथ आईपी आधारित वीएसएस सिस्टम लगा रहा है। इन कैमरों की निगरानी का जिम्मा आरपीएफ के पास है। कैमरों की लाइव फीड आरपीएफ कंट्रोल रूम पहुंच रही है। जहां अधिकारी और कर्मचारी एलसीडी के माध्यम से पूरे स्टेशन की निगरानी कर पा रहे है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आधार पर सीसीटीवी के जरिए यात्रियों और स्टेशन पर मौजूद एक-एक व्यक्ति का चेहरा स्केन होता है। इसका डाटा भी ऑटोमैटिक तौर पर हार्ड ***** में स्टोर हो जाता है।

वेटरनरी विश्वविद्यालय के सर्जनों की ओर से दो साल पूर्व एक गाय के बछड़े का कृत्रिम प्रोस्थेटिक पैर तैयार करने में सफलता मिली। यह पहला प्रयोग था जब विश्वविद्यालय के सर्जनों ने कृत्रिम अंग बनाया। इसका सफल प्रत्यारोपण गाय के बछड़े में किया गया। तत्कालीन वेटरनरी हॉस्पिटल के सीनियर सर्जन डॉ.वीपी चनपुरिया और उनकी टीम ने यह कृत्रिम पैर तैयार किया गया था। इसे तैयार करने में तकनीकी संस्थानों से भी मदद ली गई थी। प्रदेश में यह अपने तरह का पहला सफल प्रयोग था। बछड़े के पैर में टयूमर होने के कारण उसका पैर काटना पड़ा था।

तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से मप्र हाईकोर्ट की सेवाएं हाईटेक हो गई हैं। देश में सबसे पहले आरटीआई में जानकारी की सुविधा ऑनलाइन देने के बाद हाईकोर्ट ने पेपरलेस होने की दिशा में तेजी से कदम उठाए हैं। अभी हाईकोर्ट एक दर्जन डिजिटल सेवाएं दे रहा है। यहां ऑन लाइन आरटीआई आवेदन व रिप्लाई दिया जा रहा है। ई फाइलिंग के माध्यम से ऑनलाइन याचिका व अन्य आवेदन पेश किए जा रहे हैं। पक्षकार व वकील के पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर केस का एसएमएस से अपडेट हो रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश की प्रमाणित प्रति घर बैठे मेल से मिल रही है। वकीलों, पक्षकारों को हाईकोर्ट के नोटिस ई-मेल पर भेजे जा रहे हैं।

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