smartphone : सरकारी अस्पताल में स्मार्ट फोन ले जाना हुआ जरूरी, नहीं तो रह जाएंगे भटकते
सरकारी अस्पतालों में ओपीडी काउंटर से लाइन में लगकर सीधे पर्ची बनाने की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। जानकारी के अभाव में रोजाना मरीज और उनके परिजन को भटकना पड़ता है।
smart phone : इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जा रहे हैं, तो स्मार्ट फोन (smartphone) लेकर ही जाएं। वरना, ओपीडी काउंटर पर पर्ची बनवाने के लिए भटकते रहे जाएंगे। विक्टोरिया सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी काउंटर से लाइन में लगकर सीधे पर्ची बनाने की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। जानकारी के अभाव में रोजाना मरीज और उनके परिजन को भटकना पड़ता है।
smartphone : नई व्यवस्था कुछ मरीजों के लिए बन रही अव्यवस्था
smartphone : आभा ऐप डाउनलोड करने के बाद टोकन
पर्ची बनवाने के लिए पहले की व्यवस्था मरीजों के लिए भी आसान थी। लाइन में लगकर लोग कम्प्यूटर ऑपरेटर से पर्ची बनवा लेते थे। लेकिन, अब पहले अपने मोबाइल फोन पर आभा ऐप डाउनलोड करने के बाद टोकन लेना पड़ता है, तब काउंटर से पर्ची बनती है। नई व्यवस्था से स्मार्ट फोन चलाने वालों को आसानी है। लेकिन, सीनियर सिटीजन व ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले वे मरीज परेशान हो रहे हैं।
smartphone : यह आ रही समस्या
सुबह सवा दस बजे ओपीडी पर्ची काउंटर पर मरीज अपनी पर्ची बनवाने पहुंचे सूखा से आए रामप्रकाश यादव का नम्बर आधा घंटे बाद आया। उनसे टोकन नम्बर पूछा गया। रामप्रकाश ने अनभिज्ञता जाहिर की, तो कहा गया कि दीवार पर लगे पोस्टर से आभा ऐप का क्यूआरकोड स्कैन कर टोकन प्राप्त करें। रामप्रकाश के पास स्मार्ट फोन नहीं था। उन्हें हेल्प सेंटर जाने के लिए कहा गया। हेल्प सेंटर में कई लोग लाइन में लगे थे।
smartphone : यह है आभा कार्ड
आभा कार्ड को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत लांच किया गया है। इसे हेल्थ आइडी कार्ड कह सकते हैं। इसमें अपने सभी मेडिकल रिकॉर्ड सेव करके रख सकते हैं। इसे बनवाने के बाद आपको अपने इलाज से सम्बंधित किसी दस्तावेज को सम्भालकर रखने की जरूरत नहीं है। इसकी मदद से 10 साल बाद भी यह जान सकेंगे कि बीमारी से सम्बंधित कौन सी दवाई खा चुके हैं। दो माह से मरीजों को टोकन प्राप्त करने के लिए आभा ऐप डाउनलोड कराया जा रहा है।
smartphone : हेल्प डेस्क स्थापित की है
मरीजों की सुविधा के लिए ओपीडी टिकट काउंटर पर ही आभा ऐप डाउनलोड कराने के बाद उनका पंजीयन कराया जा रहा है। इसमें अपने परिवार के अन्य सदस्यों का पंजीयन खुद कर सकते हैं। जिनके पास मोबाइल नहीं है, उनके लिए हेल्प डेस्क स्थापित की गई है। वहां से उनके पंजीयन किए जा रहे हैं।
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