किस्तों में भी वसूली सूत्रों के अनुसार स्कूलों में कैपिटेशन फीस की वसूली दो किश्तों में हो रही है। पहली किश्त में नकद जमा करने के लिए कहा जाता है। शेष राशि ऑनलाइन जमा करने का दबाव बनाया जाता है। इसकी रसीद भी नहीं दी जाती। अभिभावकों के अनुसार शहर के एक स्कूल में केजी में प्रवेश के नाम पर 20 हजार और बड़े स्कूल में 30 हजार रुपए रुपए लिए जा रहे हैं। यह मनमानी मिशनरी और निजी स्कूलों में ज्यादा है।
ये होता है शुल्क कैपिटेशन फ़ीस प्रवेश के बदले में ली जाने वाली राशि है। यह राशि वापस नहीं की जाती, चाहे छात्र बीच में पढ़ाई छोड़े या पूरी पढ़ाई के बाद। यह स्कूलों द्वारा हर माह ली जाने वाली ट्यूशन फ़ीस के अतिरिक्त ली जाती है।
ये है प्रावधान कैपिटेशन फ़ीस लेना प्रतिबंधित है। इसके लिए जुर्माने की भी व्यवस्था की गई है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 13 के तहत इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों को कैपिटेशन शुल्क के दस गुना तक जुर्माने का प्रावधान है।
आवेदन में नहीं होता उल्लेख स्कूलों द्वारा प्रवेश के नाम पर ली जाने वाली इस मोटी रकम का उल्लेख प्रवेश ब्रोशर और आवेदन फार्म में नहीं किया जाता। जब अभिभावक बच्चे का प्रवेश कराने स्कूल पहुंचते हैं, तब उन्हें एडमिशन फीस के नाम पर यह जानकारी दी जाती है। कई स्कूल परीक्षा कराते हैं।
कैपिटेशन फीस प्रतिबंधित है। कोई भी स्कूल इसे नहीं ले सकता। प्रशासन एवं विभाग को इसकी गंभीरता से जांच करनी चाहिए। कार्रवाई नहीं होने से निजी स्कूल संचालक मनमानी कर रहे हैं। डॉ. पीजी नाजपांडे, अध्यक्ष, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच