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जबलपुर

‘दुनिया में सबसे ताकतवर होता है मां-बाप का सपना’, गरीब किसान के बेटे ने किया कुछ ऐसा, खुशी से छलक पड़े पिता के आंसू

Success Story : संजय बताते हैं कि उनके माता-पिता ने हाड़-तोड़ मेहनत कर खेती की और उनके साथ उनकी बड़ी बहन को बड़ा किया। बकौल संजय माता-पिता दोनों निरक्षर थे, लेकिन उन दोनों को पढ़ाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

जबलपुरSep 06, 2024 / 09:57 am

Faiz

Success Story : दुनिया में सबसे ताकतवर गरीब मां-बाप का सपना होता है। यह बात मध्य प्रदेश के आखिरी छोर पर बसे आलीराजपुर के छोटे से गांव पिप्पलिया के किसान कलम सिंह चौहान पर सोलह आने सच साबित की है। जिनकी खुली आंखों से देखे गए सपने को उनके बेटे संजय चौहान ने पूरा कर दिखाया। संजय अब डॉक्टर बन गए हैं।
गुरुवार को एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के उपलक्ष्य में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के साक्षी संजय के पिता कलम सिंह चौहान भी बने। गले में सफेद गमछा, धुंधली सी हॉफ शर्ट और एक पुराना हॉफ पैंट बस इतना ही तो तन में पहनावा था कलम सिंह के। पर सर गर्व से ऊंचा किए हुए उसपर साफा बांधकर आलीराजपुर से जबलपुर मेडिकल कॉलेज आए थे। बेटे ने जैसे ही अपनी एमबीबीएस की डिग्री उन्हें समर्पित करते हुए थमाई तो आंसू छलक आए। यह आंसू भी दो तरह के थे, एक खुशी के और दूसरे पत्नी यानी संजय की मां सुरबाई की गैरमौजूदगी के, जिनका बीते साल निधन हो गया था। आखिर बेटे के लिए ये सपना दोनों ने मिलकर ही तो देखा था, लेकिन देखने के लिए केवल दो आंखें ही रह गईं हैं।

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संघर्ष से भरा रहा सफर

डॉ संजय सिंह चौहान समाज के आखिरी छोर में रहने वाले भिलाला आदिवासी समाज से आते हैं। आलीराजपुर जिले के जोबट तहसील के छोटे से गांव पिप्पलिया में पिता को विरासत में जमीन की छोटी सी जोत मिली थी। संजय बताते हैं कि उसी में माता-पिता ने हाड़-तोड़ मेहनत कर खेती की और उन्हें और बड़ी बहन को बड़ा किया। बकौल संजय माता-पिता दोनों निरक्षर थे, लेकिन उन दोनों को पढ़ाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वे कहते हैं अभावों के दिन अब भी याद है, लेकिन मदद के इरादे से जब भी खेत पर पहुंच जाते तो पिता पढ़ने के लिए वापस लौटा देते थे।

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गांव के पास देंगे सेवा

डिग्री मिलने के बाद भावुक संजय ने कहा कि माता-पिता का सपना पूरा हुआ है। काश! मां होती तो खुशी दोगुनी हो जाती। इस दौरान कलम सिंह कुछ भी नहीं बोल पाए। उन्होंने बताया कि 2018 में नीट से जब चयन हुआ तो मां बहुत खुश हुईं थीं और घर पर खीर बनी थी। इसके एक साल बाद बड़ी बहन नर्स बन गईं जो वर्तमान में जबलपुर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सेवा दे रही हैं। खुद के प्लान के बारे में बताया कि डिग्री पूरी हो गई है, शर्त के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देनी होगी, उनकी पसंद तो आलीराजपुर और उनका गांव ही होगा। पास के किसी स्वास्थ्य केंद्र में तैनाती हो गई तो अच्छा लगेगा।

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