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जबलपुर

ऑर्गन डोनेशन के बारे में सोचें नहीं, अभी करें, यहां किडनी, लिवर के इंतजार में जरूरतमंद

किसी एक अंग की खराबी से पीड़ित मरीजों को ट्रांसप्लांट के लिए अंगदान का इंतजार है। यहां मरीज ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं, लेकिन ऑर्गन डोनेशन दानवीर नहीं हैं…ऑर्गन डोनेशन क्यों जरूरी, जरूरतमंदों का हाल पढ़कर आप भी जरूर उठाएंगे ये कदम…

जबलपुरJan 18, 2024 / 12:01 pm

Sanjana Kumar

किसी एक अंग की खराबी से पीड़ित मरीजों को ट्रांसप्लांट के लिए अंगदान का इंतजार है। जिले में हजारों मरीज ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा सूची में अपना नंबर आने की आस में संद्यर्षरत हैं। जन्मजात विकृति, आनुवांशिक बीमारी से लेकर आंख, किडनी, लिवर बीमारियों से पीडि़त मरीजों को ट्रांसप्लांट के जरिए पुन: नवजीवन मिल सकता है, लेकिन संस्कारधानी अंगदान में पीछे है। प्रत्यारोपण के लिए अंग उपलब्ध नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में मरीज अपना इलाज नहीं करा पाते।

प्रत्यारोपण की व्यवस्था पर अंगों की कमी

जिले में कार्निया के प्रत्यारोपण की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों के अनुसार साल में 5 हजार के लगभग कार्निया की आवश्यकता होती है, जबकि नगर में औसतन हर महीने लगभग 1 व्यक्ति नेत्रदान के लिए आगे आता है। मेडिकल अस्पताल में नेत्रदान के लिए पूरा सेटअप है।

 

किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा पर उपलब्धता नहीं

मेडिकल के सुपरस्पेश्यिलिटी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा है। विशेषज्ञों से लेकर पूरा सेटअप तैयार किया गया है, लेकिन किडनी दान के लिए लोग आगे नहीं आ रहे, इसके कारण यहां गितनी के ट्रांसप्लांट हो पा रहे हैं।

 

बोन बैंक भी होने वाला है स्थापित

मेडिकल अस्पताल में सरकारी अस्पताल के स्तर पर प्रदेश का पहला बोन बैंक स्थापित होने वाला है। बोन बैंक में 5 साल तक हड्डियां प्रिजर्व रखी जा सकेंगी। इन अस्थियों को बोन कैंसर, जन्मजात विकृति समेत अन्य रोगियों को रिप्लेस किया जा सकेगा। इसके साथ ही आर्थोपेडिक ट्रामा में बोन लॉस के केस न्यूरो सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी के मरीजों को भी यहां स्टोर बोन बैंक की मदद से नया जीवन मिल सकेगा।

स्किन देकर कई लोगों की बचा सकते हैं जान

22 लाख रुपये की लागत से मेडिकल अस्पताल में स्किन बैंक तैयार किया गया है। यहां पांच साल तक स्किन को सुरक्षित रखा जा सकता है। बैंक की शुरुआत के बाद एक परिवार ने अपने परिजन की स्किन यहां दान की थी। उपलब्ध स्किन का उपयोग अब तक तीन मरीजों के इलाज में किया गया है। स्किन दान के लिए लोगों के आने की आवश्यकता है। अगर स्किन दान बढ़े तो बड़ी संख्या में ऐसे मरीज जो दुर्घटनाओं में बुरी तरह से जल जाते हैं या फिर सडक़ दुर्घटना में उन्हें बड़ा स्किन लॉस हो जाता है। ऐसे मरीजों का जीवन बचाया जा सकता है।

नहीं है लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट

लिवर ट्रांसप्लांट के लिए मरीज अभी दूसरे महानगरों पर निर्भर हैं, नगर में फिलहाल लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है। ऐसे परिवार जिनमें किसी व्यक्ति का लिवर खराब हो चुका है, परिवार का कोई सदस्य उसे लिवर देना चाहता है, उन्हें भी इसके लिए दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद जैसे शहरों में जाना पड़ता है।

 

फैक्ट फाइल-

अंगदान-

– 5 हजार के लगभग कार्निया की आवश्यकता जिले में हर साल

– 1 लगभग औसतन महीने में नेत्रदान

– 2-3 किडनी की आवश्यकता हर महीने

– 4-5 महीने में 1 है दान का औसत

– 1-2 लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हर माह

– लिवर डोनेशन के लिए आगे नहीं आ रहे लोग

 

स्किन डोनेशन

– 300 के लगभग बर्न केस मेडिकल आते हैं सालाना

– 140-150 के लगभग गंभीर रूप से जले मरीजों की हो जाती है मौत

– 500 के लगभग एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल मरीज आते हैं रोजाना

– 150 के लगभग मरीज स्किन लॉस के

– 5 साल स्टोर रखी जा सकती है स्किन बैंक में

– 12 घंटे में निकालनी होती है स्किन

जरूरत ज्यादा, दानवीर कम

आवश्यकता के अनुपात में शहर में अंगदान का प्रतिशत बहुत ही कम है। इसके लिए जागरुकता की आवश्यकता है।

– डॉ.परवेज सिद्धीकी, प्रभारी डीन, मेडिकल कॉलेज

 

जागरुकता की कमी

अंगदान को लेकर नगर में जागरुकता की कमी है, जितने ज्यादा लोग अंगदान करेंगे, उतनी ज्यादा जिंदगी बचाई जा सकती है।

– डॉ.आरएस शर्मा, कॉर्डियोलॉजिस्ट व पूर्व कुलपति मेडिकल यूनिवर्सिटी

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