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जबलपुर

दशहरा दिवाली में खूब जगमगाएगा पूरा प्रदेश, नहीं होगी अब बिजली गुल, न छाएगा कहीं अधियारा

चौबीसों घंटे घूम रहीं विद्युत गृहों की टरबाइन, मध्यप्रदेश में अभी बिजली की डिमांड साढ़े पांच से छह हजार मेगावॉट है।

जबलपुरAug 28, 2019 / 12:50 pm

Lalit kostha

मध्यप्रदेश में अभी बिजली की डिमांड साढ़े पांच से छह हजार मेगावॉट है।

वीरेन्द्र रजक जबलपुर/ अच्छी बारिश से न सिर्फ किसानों के चेहरे खिले हैं, बल्कि प्रदेश में पनबिजली का उत्पादन भी बढ़ा है। इन दिनों हाइडल, सोलर और विंड जैसे साधनों से 51 फीसदी तक विद्युत आपूर्ति हो रही है। वहीं, ताप विद्युत गृहों से 49 प्रतिशत ही बिजली ली जा रही है। लबालब हो चुके ज्यादातर बांधों के जलविद्युत गृहों की टरबाइन चौबीसों घंटे घूम रही हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है इस बार के दशहरा दिवाली में कहीं भी अंधेरा नहीं होगा, न बिजली गुल होगी।

मध्यप्रदेश में अभी बिजली की डिमांड साढ़े पांच से छह हजार मेगावॉट है। पावर जनरेटिंग कम्पनी जल विद्युत गृहों से रोजाना 25 से 26 सौ मेगावॉट बिजली का उत्पादन करवा रही है, जो पिछले कुछ वर्षों की तुलना में सर्वाधिक है। अफसरों का दावा है कि एक दिन में 1712 लाख यूनिट तक की सप्लाई इन्हीं जल विद्युत गृहों से की गई है, जो पिछले तीन-चार वर्षों में सर्वाधिक है।

 

नर्मदा के बांधों में अधिक उत्पादन

कैचमेट एरिया में बारिश के बाद नर्मदा उफान पर है। नर्मदा स्थित बरगी, ओंकारेश्वर बांध हो या फिर इंदिरासागर, सभी लबालब हैं। इन बांधों से सर्वाधिक विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। बीहर, कालीसिंध, बेतवा और जोहिला नदियों में पर्याप्त पानी है। यहां पर भी खासी बिजली बन रही है। दूसरी ओर जनरेशन कम्पनी ने बाणसागर से अगस्त में 2040.81 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्पादन किया। यहां के बांधों का जलस्तर थोड़ा कम हुआ। इसके चलते यहां से उत्पादन बंद कर दिया गया है। पेंच और गांधी सागर बांध में भी जलस्तर कम होने के कारण इन्हें भी बंद कर दिया गया है।

 

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बिजली की बैंकिंग भी

बारिश में जल विद्युत गृहों से अधिक बिजली उत्पादन और मांग कम होने के चलते मध्य प्रदेश पावर मैनेजमैंट कंपनी इसकी बैंकिंग भी कर रही है। पश्चिम बंगाल समेत दिल्ली, छत्तीसगढ़ और पंजाब को ग्रिड के माध्यम से यह बिजली भेजी जा रही है। रबी सीजन में जब प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ेगी, तो बैंकिंग की बिजली इन राज्यों से वापस ली जाएगी।

प्रदेश में 51 प्रतिशत बिजली की सप्लाई जल विद्युत गृहों समेत सोलर और विंड के जरिए की जा रही है। वहीं अन्य 49 प्रतिशत बिजली थर्मल पावर के जरिए प्रदेश में की जा रही है। वर्तमान में थर्मल पावर के कुछ प्लांट मैंटेनेंस पर हैं।

– केके प्रभाकर, चीफ इंजीनियर, स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर

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